Saturday, May 10, 2025

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ग़ज़ल
Wednesday, August 24, 2016 - 9:30:32 AM - By -डॉ.वागीश सारस्वत

ग़ज़ल
-डॉ.वागीश सारस्वत

मछलियाँ रो रही हैं किसे क्या पता
आंसुओं में समंदर उफन अाएगा
तू चली आ कहानी लिए प्यार की
तेरे आने से जीवन बदल जाएगा
मैंने अरमान बोये तेरे साथ के
तू जो आई तो अंकुर निकल आएगा
मैं हक़ीक़त हूँ , और तू मेरा ख्वाब है
फूल ख्वाहिश का कैसे ये खिल पाएगा
हाथ में हाथ तेरा जो ले कर चलूँ
दूरियों का हिमालय पिघल जाएगा ।।