-डॉ.वागीश सारस्वत
मछलियाँ रो रही हैं किसे क्या पता
आंसुओं में समंदर उफन अाएगा
तू चली आ कहानी लिए प्यार की
तेरे आने से जीवन बदल जाएगा
मैंने अरमान बोये तेरे साथ के
तू जो आई तो अंकुर निकल आएगा
मैं हक़ीक़त हूँ , और तू मेरा ख्वाब है
फूल ख्वाहिश का कैसे ये खिल पाएगा
हाथ में हाथ तेरा जो ले कर चलूँ
दूरियों का हिमालय पिघल जाएगा ।।