रोशनी की तलाश में गए थे,
अंधेरो ने घेर लिया.
जब रोशनी की तरफ़ देखा,
तो उसने भी मुँह फेर लिया.
ना हम अँधियारो के रहे ना उजियारों के,
ना हम गलियों के रहे ना चौबारों के,
बहुत इठलाते थे की हम मर्द है,
बहुत कमजोर है हम,
हम से प्रबल तो ये दर्द है ,
हमें तो उस खिड़की ने भी ठुकरा दिया,
जिसको देखने का हक़ फ़क़त हमारी नज़रों का था
क़सूर का क़सूर नही था,
ना तेरी मेरी नज़रों का था,
एक खिड़की जो कभी खुला करती थी,
दोनों तरफ से नज़रें मिला करती थी.
छोटे-छोटे क़िस्सों की एक कहानी बन गयी,
हर बार की तरह एक राजा और एक रानी बन गयी.
मिलना ऐसा की पानी को मुट्ठी में क़ैद करना,
और मिलन ऐसा की हर कहानी में तुम्हारा हिस्सा होना.
एक रोशनी की तलाश में.