उत्तर प्रदेश में एक गांव है, जिसका नाम है,चिलकहर....जहाँ एक राजपूत परिवार के मुखिया प्रेमचंद्र सिंह के घर 17 सितम्बर एक एक संतान ने जन्म लिया, नाम रखा गया अंशुमान, अंशुमान का मतलब होता है, सूर्य।
पिता के साथ साथ पुरे परिवार का लाडला था, अंशुमान, सबको आशा थी की सूर्य की तरह चमक कर राजपूत कुल का नाम रोशन करेगा अंशुमान, आईएएस आफिसर, सेना का जवान, डाक्टर या इंजिनियर बनेगा. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था, अंशुमान के दिलो दिमाग में सिनेमा के रुपहले परदे का इंद्रधनुषी रंग बिखर रहा था, उसे सिनेमा की दुनियाँ में सितारा बन के रोशन होना था.
प्रेमचंद्र सिंह को जब पता चला की उनके लाडले को सिनेमा से प्रेम है, तो उनके सोच के विपरीत था सब कुछ, लेकिन बेटे के प्यार के सामने, हर समझदार बाप की तरह प्रेमचंद ने भी बेटे के सपनो को तरजीह दिया.
लेकिन अंशुमान की सोच और समझ औरों से थोड़ी अलग थी, उसने पहले सिनेमा को समझने की सोची और दिल्ली में बैरी जॉन से अभिनय की कला सीखने लगा. फिर सिनेमोटोग्राफी सीखा NDTV से जुड़ा, एडिटिंग की बारीकियां सीखी, और फिर मुंबई आ गया.
मुंबई आ कर अंशुमान को कठिन संघर्ष नहीं करना पड़ा, मल्टीस्टारर फिल्म "बार्डर" में काम करने का मौका मिल गया, फिल्म बड़ी थी, लेकिन अंशुमान का किरदार छोटा था, फिर भी उसने अपनी पहचान बड़े परदे पर छोड़ दिया.
कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, वो अपनी राह खुद बना लेती है, बार्डर के बाद अंशुमान को भोजपुरी फ़िल्में मिलने लगीं. लेकिन उसी दौरान अंशुमान को ज़ी गंगा का सीरियल मिला, "मितवा", इस सीरियल ने अंशुमान के कैरियर को उड़ान दे दिया. एक पहचान दे दिया.ये साबित कर दिया की उसके अभिनय का रेंज क्या है, वो कैसे भोजपुरी में औरों से अलग है.
अंशुमान ने दिलवा ले के गईल राजा , सरफ़रोश , प्रीत का दामन, जग कल्याणी पाटनी देवी मैय्या,हम तुम्हारे है सनम जैसी फिल्मे हाथ लगी,लेकिन उसे एहसास हुआ की सिर्फ फिल्मों की कतार तो सबके पास लगी हुयी है, फ़िल्में बनती है आती है और चली जाती है, ऐसे तो सिर्फ उससे हिस्से फिल्मों से पैसा आ रहा है, उसके सपने तो वही के वहीँ थके हारे जम्हाई भर रहे है.
अंशुमान ने अल्पविराम लिया, मकसद सिर्फ अच्छी फ़िल्में करना नहीं था, बल्कि अलग फ़िल्में करना था. और इस अल्पविराम में उसे B4U भोजपुरी का साथ मिला, जिसमे उसकी फिल्म "कार्पोरेट बहु" खूब चर्चित हुयी, भोजपुरी सिनेमा ने हिंदी फिल्मों का रूख़ पकड़ा, नया कांसेप्ट ले कर आये.
अभी अंशुमान सिर्फ चुनिंदा फ़िल्में ही कर रहे है, इन दिनों मंजुल ठाकुर की एक फिल्म का शूट चल रहा है, एक बड़ी फिल्म इसी महीने जौनपुर में शुरू हो रही है, फिर लगातार तीन फिल्मों का शूट लाइनअप है, उसके बाद उनकी तीन और फिल्मों का प्रीप्रोडक्शन चल रहा है जो 2024 के जनवरी से शुरू होंगी.
इस साल बालकिशन सिंह निर्देशित उनकी फिल्म "दीवाना दिल माने ना " और विष्णु शंकर वेलु की फिल्म "सरस्वती" रिलीज होगी।