मिज़ोरम सीएम
एनडीए गठबंधन के ही साथी दल के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दे तो क्या यह सामान्य बात है? बीजेपी के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस और नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस का सदस्य होने के बावजूद मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने कहा है कि जब नरेंद्र मोदी आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने आएंगे तो वह उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे। सवाल है कि आख़िर ज़ोरमथंगा को पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने से वोटबैंक के नुक़सान का डर क्यों सता रहा है?
इस सवाल का जवाब खुद ज़ोरमथंगा ने ही दिया है। उन्होंने बीबीसी हिंदी से कहा, 'मैं प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करूँगा क्योंकि वो बीजेपी से हैं और मिज़ोरम के सभी लोग ईसाई हैं। मणिपुर में मैतेई लोगों ने मणिपुर में सैकड़ों चर्च जलाए। यहाँ के सभी लोग इस विचार के ख़िलाफ़ हैं। ऐसे में यदि प्रधानमंत्री यहाँ आते हैं तो ये उनके लिए भी बेहतर होगा कि वो मंच पर अकेले रहें और मेरे लिए भी कि मैं अपने अलग मंच पर रहूँ।'
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस समय बीजेपी के साथ सहानुभूति रखना मेरी पार्टी के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट होगा।' उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मिज़ो नेशनल फ्रंट ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, क्योंकि वे कांग्रेस के खिलाफ थे।
मिज़ोरम में भले ही ज़ोरमथंगा बीजेपी से दूरी बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन केंद्रीय स्तर पर उनकी पार्टी एनडीए के साथ है। इन चीजों को लेकर कांग्रेस भी ज़ोरमथंगा की पार्टी और बीजेपी पर हमलावर है। ज़ोरमथंगा की मिजो नेशनल फ्रंट यानी एमएनएफ़ और विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी जेडपीएम को लेकर राहुल गांधी ने कहा है कि ये दोनों दल बीजेपी और आरएसएस के लिए प्रवेश बिंदु हैं।
उन्होंने मणिपुर में हाल में हो रही हिंसा की ओर भी ध्यान दिलाया जहाँ चर्चों को ख़ूब निशाना बनाया गया है। मणिपुर में बीजेपी सत्ता में है।
यही वजह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दोनों मज़बूत क्षेत्रीय दलों पर हमला करते हुए उन्हें बीजेपी और आरएसएस का प्रवेश बिंदु बताया।