वसुंधरा
राजस्थान में भाजपा की परिवर्तन यात्रा इस समय हाड़ौती क्षेत्र में है। यह क्षेत्र भाजपा की पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के लिए जाना जाता है। लेकिन गुरुवार को मंच पर भाजपा कार्यकर्ता असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के साथ परंपरागत राजस्थानी पगड़ी और तलवार भेंट कर फोटो सेशन कराते दिखे। वसुंधरा गायब थीं। वसुंधरा सिर्फ गुरुवार को ही नहीं थीं। वो पिछले दस दिनों से राजस्थान के राजनीतिक पटल से गायब हैं। हाड़ौती में कोटा, बूंदी और झालावड़ आते हैं। वसुंधरा झालावाड़ से 33 वर्षों से या तो विधायक रहीं या सांसद रहीं, लेकिन गुरुवार को इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम से गायब रहीं।
इस दौरान आयोजित रैली में उनकी जगह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनके बेटे दुष्यंत सिंह पहुंचे। रैली में भीड़ नहीं थी। लोगों को पहले से ही मालूम था कि वसुंधरा राजे नहीं आएंगी। वसुंधरा के बेटे सांसद दुष्यंत सिंह को सिर्फ हाजिरी लगाने के मकसद से भेजा गया था। वसुंधरा की भाजपा से नाराजगी दुष्यंत के मुद्दे पर भी है। वसुंधरा चाहती थीं कि उनके सांसद बेटे को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिले। लेकिन परिवारवाद के आरोपों से डरी भाजपा यह हिम्मत नहीं दिखा पाई।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि वसुंधरा पिछले दस दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान उनकी कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी हुई। लेकिन कोई उनसे सवाल नहीं कर सका कि वो इस समय झालावाड़ की बजाय दिल्ली में क्यों हैं। वसुंधरा की गैरमौजूदगी में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा जैसे मुख्यमंत्रियों को राजस्थान बुलाना पड़ा। जबकि राजस्थान में सरमा या धामी की वसुंधरा के मुकाबले क्या हैसियत है। अगर इनकी जगह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भाजपा लाई होती, तो भी गनीमत था।