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सलीम बस्तवी अज़ीज़ी की ग़ज़ल
Thursday, September 28, 2023 - 12:17:17 AM - By सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

 सलीम बस्तवी अज़ीज़ी की  ग़ज़ल
सलीम बस्तवी
किस क़दर इस ज़िंदगी के रास्ते दुश्वार है,
फूल से ज़्यादा हमारी ज़िंदगी में खार हैं ।

क्या कहेंगे आप इस बदले हुए हालात पर,
जो हमें बर्बाद करने पर यहां तैयार हैं ।

नफरतों की आग में झुलसा है जिनसे यह चमन,
जाके उनसे पूछिए क्या वोह कभी गमखोवार हैं ।

जो नेजाम ए हिन्द को अब कर रहे हैं तार तार,
हमको तो लगता है कि वोह ज़ेहन से बीमार हैं ।

नफसी नफसी का है आलम, सांस भी रुकने को है,
और, उसपे यह सितम कि हम यहां गद्दार हैं ।

दंग रह जायेंगी आंखें देखकर मंज़र, सलीम,
कैसे कैसे इस सियासत के यहां फनकार हैं ।