गजेंद्र सिंह शेखावत फोन टैपिंग मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की भजनलाल सरकार की याचिका
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के फोन टैपिंग मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। कोर्ट ने राजस्थान की भजनलाल सरकार द्वारा दायर की गई याचिका को मंजूर कर लिया, जिससे मामले में नई दिशा में जांच की संभावना बढ़ गई है। यह मामला पहले राजस्थान की गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान दर्ज हुआ था, जब गहलोत सरकार ने इस मामले की जांच पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद, भजनलाल सरकार ने 20 जुलाई को गहलोत सरकार द्वारा दायर याचिका को रद्द करने की मांग की। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मंजूरी दे दी, जिससे दिल्ली क्राइम ब्रांच को इस मामले की जांच फिर से शुरू करने का मार्ग खुल गया है।
भजनलाल सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा की सलाह पर याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका की मंजूरी के बाद, दिल्ली क्राइम ब्रांच अब इस मामले में नए सिरे से जांच शुरू करेगी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा समेत कई लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2021 में दिल्ली क्राइम ब्रांच में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि गहलोत सरकार ने उनके फोन की गैरकानूनी टैपिंग करवाई। गहलोत सरकार ने इस एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मामले की जांच केवल राजस्थान में ही की जा सकती है।
गहलोत सरकार की याचिका के बाद, दिल्ली पुलिस की टीम को राजस्थान में जांच करने से रोका गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, दिल्ली क्राइम ब्रांच को इस मामले की जांच फिर से शुरू करने का अधिकार मिल गया है।
मामले की पृष्ठभूमि :
फोन टैपिंग का यह मामला 2020 में सामने आया था, जब गजेंद्र सिंह शेखावत और अशोक गहलोत आमने-सामने थे। शेखावत ने इस मामले में गहलोत और उनके ओएसडी लोकेश शर्मा के खिलाफ केस दर्ज करवाया था, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की जांच को राज्य सरकार ने रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली क्राइम ब्रांच इस मामले में फिर से सक्रिय होगी और कई प्रमुख व्यक्तियों से जांच की जा सकती है।