पिछले एक-दो महीनों में, आपने रेलवे पटरियों पर विभिन्न वस्तुओं के पाए जाने की कई खबरें सुनी होंगी। इनमें गैस के सिलेंडर, लोहे के खंभे, फिश प्लेट, रेलवे डेटोनेटर, लोहे के सरिये और लकड़ी के बड़े टुकड़े शामिल हैं। ये घटनाएँ न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हैं, बल्कि समाज में अटकलों और चर्चाओं का भी कारण बनी हैं।
जब इस तरह की घटनाएँ सामने आईं, तो लोगों ने विभिन्न मत व्यक्त किए। कुछ ने इसे 'ट्रेन पलटाने की साज़िश' करार दिया, जबकि अन्य ने इसे आतंकवादियों द्वारा देश में भय का माहौल उत्पन्न करने के नए तरीकों के रूप में देखा। यह स्पष्ट है कि इन घटनाओं ने समाज में असुरक्षा की भावना को बढ़ाया है।
जांच की प्रक्रिया
इन घटनाओं की जांच के दौरान कई तरह की जानकारियाँ सामने आई हैं। जांच एजेंसियाँ विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये घटनाएँ वास्तव में किस प्रकार की साज़िश या आतंकवादी गतिविधियों का हिस्सा हैं।
1- हाल की जांच में पता चला है कि कुछ लोग शराब के नशे में रेलवे ट्रैक पर सामान रख रहे थे। इनमें से एक घटना 24 अगस्त को हुई, जब कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने पटरी पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा रख दिया। यह घटना कासगंज से फर्रुखाबाद जाने वाली ट्रेन के रास्ते में भटासा हॉल्ट के पास हुई।
जांच में सामने आया कि *दो शराबियों, देव सिंह राजपूत और मोहन कश्यप* ने यह लकड़ी रखी थी। उनका इरादा ट्रेन को पलटाकर प्रसिद्धि पाना था। घटनास्थल से शराब की बोतल भी मिली, जो उनकी नशे की स्थिति को दर्शाती है।
2- 9 सितंबर को कानपुर से एक गंभीर घटना की खबर आई, जिसमें रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर रखा मिला। यह सिलेंडर कालिंदी एक्सप्रेस के रास्ते में था, जो प्रयागराज से भिवानी जा रही थी। ट्रेन कानपुर के शिवराजपुर में इस सिलेंडर से टकराई और रुक गई, लेकिन सौभाग्य से कोई यात्री घायल नहीं हुआ।
जांच में पता चला कि पास की झाड़ियों में सिलेंडर के अलावा पेट्रोल की बोतल, माचिस और बारूद जैसी सामग्री भी मिली। इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है, जिसमें एनआईए भी शामिल है। पुलिस ने कहा कि यह साजिश ट्रेन को पलटाने की थी।
इस मामले में यह स्पष्ट है कि सिलेंडर रखने वालों ने पहले शराब पीकर ट्रेन का इंतजार किया और जैसे ही ट्रेन का समय आया, वे वहां से गायब हो गए। इस घटना में लोको पायलट की सजगता से एक बड़ा हादसा टल गया, क्योंकि उन्होंने तुरंत ट्रेन को रोककर अधिकारियों को सूचित किया। कानपुर में तीन बार ऐसी साजिशें सामने आई हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि रेलवे ट्रैक के पास लोग नशा करने के लिए आते हैं, क्योंकि यहाँ सन्नाटा रहता है। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं होता, जिससे लोग शराब की बोतलें लेकर बैठते हैं और समूह में शराब पीते हैं। जिस दिन हादसा हुआ, उस दिन इस ट्रैक पर गैस सिलेंडर के साथ बीयर की केन भी बरामद हुई थी। यह स्थिति जांच एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इससे सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।
पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे कोई संगठित अपराध नहीं है, लेकिन आरोपियों का मकसद लोगों को नुकसान पहुंचाना प्रतीत होता है। (अगर अब्दुल पकड़ाता तो आतंकी कार्रवाई मानी जाती)
3- 18 सितंबर को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में एक और 'ट्रेन पलटाने की साजिश' का मामला सामने आया। रुद्रपुर सिटी और बिलासपुर रेलवे स्टेशनों के बीच 6 मीटर लंबा लोहे का खंभा पटरी पर पाया गया। लोको पायलट की सतर्कता से कोई बड़ा हादसा टल गया।
जांच में पता चला कि दो युवक, *संदीप और टिंकू*, अक्सर उस रास्ते पर शराब पीने आते थे। घटना के दिन, वे खंभा लेकर भाग रहे थे जब उन्होंने ट्रेन का हॉर्न सुना और उसे छोड़कर भाग गए। पूछताछ में उन्होंने खंभा चुराने और नशे के लिए बेचने की बात स्वीकार की, इसलिए पुलिस ने इसे साजिश मानने से इनकार किया।
4- गुजरात के सूरत जिले में 20 सितंबर को रेलवे ट्रैक पर तोड़फोड़ की गई। जांच में पता चला कि तीन रेलवे कर्मचारियों ने यह सब एक झूठी कहानी बनाने के लिए किया था ताकि वे वाहवाही और पुरस्कार हासिल कर सकें।
इन कर्मचारियों ने ट्रैक के कुछ हिस्से हटा दिए, वीडियो और तस्वीरें लीं, और फिर उन्हें वापस लगा दिया। पुलिस ने *सुभाष पोद्दार, मनीष मिस्त्री (दोनों ट्रैकमैन) और शुभम जायसवाल (कांट्रैक्ट वर्कर)* को गिरफ्तार किया है। इनका इरादा किसी दुर्घटना को रोकने का दिखावा करना था, लेकिन उनकी चालाकी पकड़ में आ गई।
5- 18 सितंबर, 2024 को भुसावल मंडल के नेपानगर और खंडवा स्टेशनों के बीच सागफाटा के पास एक घटना हुई, जहां रेलवे द्वारा दिए गए 10 डेटोनेटर फट गए। ये डेटोनेटर, जिन्हें क्रैकर कहा जाता है, रेलवे के नियमित संचालन में उपयोग होते हैं और इनका फटना किसी बाधा या धुंध का संकेत होता है.
22 सितंबर को एक रेलवे कर्मचारी, *साबिर*, को इन डेटोनेटरों की चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया। साबिर गैंगमैन से एक रैंक ऊपर का मेट है और पटरियों पर गश्त करता है। जांच में उसके अन्य सहयोगियों के भी शामिल होने की बात सामने आई है। साथी किसी भी धर्म के हो सकते हैं।
ऊपर की कई घटनाओं में जो नाम सामने आए हैं उनमें एक मामले को छोड़कर किसी मामले में कोई 'अब्दुल' नहीं था। एसआईटी जांच जारी है।
यह जांच का विषय है कि गिरफ्तार आरोपियों के नाम उजागर होने के बाद इसे आतंकी कार्रवाई क्यों नहीं बताया जा रहा, जबकि विशेष समुदाय का नाम आते ही पेड मीडिया आतंकी कार्रवाई बताकर नागिन डांस करता नज़र आता है।