ओवैसी
लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक का एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी ने विरोध किया और विधेयक के ख़िलाफ़ वोट किया। उन्होंने विधेयक का विरोध करने के पीछे कारण इसमें ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होना बताया है।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% सीटें देने वाले महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा ने बुधवार शाम को पारित कर दिया। 454 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया, जबकि 2 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया।
संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 का जिन दो सांसदों ने विरोध किया वे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के सांसद हैं। विधेयक हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी के सांसद औरंगाबाद से इम्तियाज जलील को छोड़कर सभी दलों के लगभग सर्वसम्मति से पारित किया गया।
औवेसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने विधेयक के प्रावधानों में ओबीसी कोटा को शामिल न करने के साथ-साथ अल्पसंख्यक महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ रुख अपनाने के लिए विधेयक के खिलाफ मतदान किया।
ओवैसी ने कहा, 'भारत में ओबीसी की आबादी 50% से अधिक है और आप उन महिलाओं को शामिल करने के लिए एक विधेयक ला रहे हैं जिन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, क्या आप ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए प्रावधान नहीं करेंगे? 17 लोकसभा चुनाव हुए, 699 महिला सांसद जीतीं, इनमें से कितनी मुस्लिम महिलाएँ थीं - मात्र 25। मुस्लिम महिलाओं की जनसंख्या 7% है और उनका प्रतिनिधित्व अब तक 0.7% रहा है। यदि आप उन लोगों को प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं जिन्हें अब तक यह नहीं मिला है, तो आपको उसमें ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों नहीं देना चाहिए?' द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार ओवैसी ने कहा, 'हमने यह बताने के लिए ऐसा किया कि ये दो सांसद हैं जो ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं को शामिल करने के लिए स्टैंड लेने के लिए तैयार हैं।'