Sunday, April 27, 2025

न्यूज़ अलर्ट
1) ख्वाब,मेहनत और जूनून की एक मिसाल है,रितेश नारायण .... 2) पहलगाम आतंकी हमले का धनबाद कनेक्शन! .... 3) सिंपल सी:डिंपल सिंह .... 4) The Family Man 3 में इस पुराने किरदार की हुई एंट्री.... 5) बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई केसरी 2.... 6) अमेरिका के 22 MQ-9 बाहुबली ड्रोन गिराकर हूतियों ने दिखाया दम, यमनी गुट ने कैसे तैयार किया एयर डिफेंस?.... 7) यूक्रेन में रूसी मिसाइलों का कहर, 6 बच्चों समेत 9 की मौत....
गुस्से में है मजदूर! 20 मई को करेगा हड़ताल
Wednesday, March 19, 2025 12:27:48 AM - By News Desk

symbolic image
निजीकरण और श्रम संहिताओं की वजह से देश का मजदूर गुस्से में है. खबर है कि 20 मई 2025 को देशभर के श्रमिक संगठनों ने निजीकरण और श्रम संहिताओं के खिलाफ एक ऐतिहासिक हड़ताल करने जा रहा है. इस हड़ताल का उद्देश्य केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों और मजदूर विरोधी फैसलों के खिलाफ विरोध जताना है.
हड़ताल का उद्देश्य और पृष्ठभूमि

केंद्रीय मजदूर संगठनों और विभिन्न स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों ने एक राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें दो महीने के लंबे अभियान की योजना बनाई गई. इस अभियान का समापन 20 मई को देशव्यापी हड़ताल से होगा. श्रमिक संगठनों के नेताओं ने कहा कि यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा और मजदूरों और किसानों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्णायक संघर्षों की शुरुआत होगी.
श्रमिक संगठनों की मुख्य मांगें

इस सम्मेलन में कई प्रमुख श्रमिक संगठनों के नेताओं ने भाग लिया. इनमें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं. इन संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कई महत्वपूर्ण मांगें उठाईं.

श्रम संहिताओं का विरोध: श्रमिक संगठनों का आरोप है कि सरकार श्रमिकों के अधिकारों के खिलाफ श्रम संहिताओं को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है, जो मजदूरों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है.
निजीकरण पर रोक: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोकने की मांग की गई है, क्योंकि यह श्रमिकों के रोजगार सुरक्षा को खतरे में डालता है.
न्यूनतम वेतन वृद्धि: न्यूनतम मासिक वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग की गई है, जिससे श्रमिकों का जीवन स्तर सुधार सके.
पेंशन योजना में सुधार: कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन को 9,000 रुपये करने की भी मांग की गई है.
भारतीय श्रम सम्मेलन का नियमित आयोजन: भारतीय श्रम सम्मेलन के नियमित सत्र आयोजित करने की मांग की गई है ताकि श्रमिकों की समस्याओं पर ध्यान दिया जा सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके.

केंद्र सरकार की नीतियों पर आरोप

श्रमिक नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां कॉरपोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी हैं, जिससे बेरोजगारी, गरीबी और असमानता बढ़ी है. इन नीतियों के चलते श्रमिकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.

इसे भी पढ़ें: आधा भारत नहीं जानता पीपीएफ का 15+5 का फॉर्मूला, जान जाएगा तो हर महीने करेगा 40,000 की कमाई
20 मई की हड़ताल का महत्व

इस हड़ताल को लेकर श्रमिक संगठनों का मानना है कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ना केवल मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में भी मदद करेगा. यह हड़ताल सरकार के खिलाफ एक मजबूत संदेश है कि मजदूरों को उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता.