Thursday, September 12, 2024

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गुजरात से सामने आया हैरान करने वाला आकंड़ा
Thursday, September 14, 2023 11:26:18 PM - By इनपुट- PTI

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गुजरात को देश का सबसे विकसित राज्य माना जाता है। ये राज्य हमारे देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की भी कर्म और जन्म भूमि है। लेकिन फिर भी इस राज्य में शिक्षा का क्या स्तर है, इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां 926 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही टीचर है। ये आकंड़ा कहीं और नहीं बल्कि खुद राज्य सरकार ने गुजरात विधानसभा के रिकॉर्ड पर दिया है। राज्य की विधानसभा को यह जानकारी दी गई कि 926 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ एक ही शिक्षक है।

राज्य सरकार ने बताया टीचर ना होने का कारण

लेकिन इस दौरान राज्य सरकार ने सदन को आश्वासन दिया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाएगा। राज्य सरकार द्वारा सदन में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, महिसागर जिले के 106 स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक हैं, जबकि कच्छ में 105, तापी में 84, देवभूमि द्वारका में 46, नर्मदा में 45 और खेड़ा जिले में 41 स्कूलों में केवल एक शिक्षक हैं। आंकड़ों के अनुसार जिन जिलों में स्थिति बेहतर है, उनमें बोटाद शामिल है, जहां केवल दो स्कूल स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक शिक्षक है। इसके बाद मोरबी (तीन स्कूल), भावनगर और गिर सोमनाथ (पांच-पांच स्कूल), गांधीनगर (छह) और जामनगर (आठ) हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने कहा कि स्कूलों में एक शिक्षक इसलिए है क्योंकि सेवानिवृत्ति, मृत्यु, स्थानांतरण और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे विभिन्न कारणों के चलते पद खाली हुए हैं।

विधानसभा सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति ने कही थी बड़ी बात
वहीं इससे पहले बुधवार को राष्ट्रपति ने कल शुरू हुए गुजरात विधानसभा के चार दिवसीय मानसून सत्र के दौरान विधायकों को संबोधित किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान कागज रहित कामकाज को बढ़ावा देने के लिए गुजरात विधानसभा की राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (एनईवीए) परियोजना का उद्घाटन किया और कहा कि जब महिलाएं हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं तब राजनीति में भी उनका प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘‘देश भर के शैक्षणिक संस्थानों के दौरे के समय उन्होंने लड़कियों में जीवन में आगे बढ़ने और देश और समाज के लिए कुछ करने की आकांक्षा देखी और महिलाओं को उचित अवसर मिले तो वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकती हैं।"