स्टोरीबोर्ड
शायद बहुत कम ही लोगों को स्टोरीबोर्ड के बारे में पता होगा।
आधुनिक व्यावसायिक कला यानि कमर्शियल आर्ट के क्षेत्र में तेज़ी से उभरता हुआ नाम है स्टोरीबोर्ड।
आईये जानते हैं क्या है स्टोरीबोर्ड और इसका महत्व क्या है? पिछले कुछ दशकों में फिल्म के निर्माण में बहुत बदलाव आया है, नयी नयी तकनीक और सुविधाओं के माध्यम से फिल्मांकन पहले की अपेक्षा बहुत सरल हो गया है, जिस तरह स्पेशल इफ़ेक्ट के लिए कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है, वैसे ही आज फिल्म बनाने में स्टोरीबोर्ड का बहुत बड़ा महत्व है. स्टोरीबोर्ड चित्रों की एक श्रंखला होती है जिस से शूटिंग की रूप रेखा समझने में आसानी होती है, हर शूटिंग से पूर्व उस सीन के हर एंगल को चित्रित कर के सब कुछ तय कर लिया जाता है कि कैमरा एंगल क्या होगा, कब लॉन्ग शॉट होगा, कब क्लोज शॉट होगा, कैमरा कहाँ से कहाँ हरकत करेगा, कौन सा सीन कैसा दिखेगा,कब किस चीज़ को करना है इत्यादि।
स्टोरीबोर्ड बनाना ज़रूरी है क्योंकि शूटिंग से पूर्व कैमरामैन से लेकर प्रोडूसर तक को पता चल सके की निर्देशक ने सीन को कैसे शूट करने का सोचा है, अगर कुछ फेरबदल करना हुवा तो वहीँ पर कर लिया जाये वर्ना शूट होने के बाद उस में कोई बदलाव करना मतलब समय और पैसा दोनों की बरबादी। इस लिए हर सीन को शूट करने से पहले निर्देशक एक स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के साथ बैठ कर उसे अपने सीन के सारे एंगल और लाइटिंग समझा देता है, और फिर आर्टिस्ट उस के हिसाब से एक एक फ्रेम कर के सारा स्टोरीबोर्ड बना देता है. निर्देशक की तरफ से स्टोरीबोर्ड को मंज़ूरी मिल जाने के बाद शूटिंग की शुरुवात होती है और वह स्टोरीबोर्ड कैमरामैन को दिया जाता है, कैमरामैन स्टोरीबोर्ड देख कर समझ जाता है की उसे कौन सा शॉट कैसे लेना है, इस तरह से कैमरामैन का काम काफी आसान हो जाता है।
ऐसा नहीं है की पहले स्टोरीबोर्ड का चलन नहीं था, स्टोरीबोर्ड का इतिहास बहुत पुराना है, बॉलीवुड में पुराने निर्देशकों में से एक मशहूर निर्देशक "सत्यजीत रे" अपनी सभी फिल्मों के स्टोरीबोर्ड खुद बनाया करते थे. लेकिन तब हर कोई स्टोरीबोर्ड को गंभीरता से नहीं लेता था, और ज़्यादा तर फ़िल्में बिना स्टोरीबोर्ड के बन जाती थीं, पर आज स्टोरीबोर्ड फिल्म निर्माण का एक अभिन्न अंग है।
वैसे तो स्टोरीबोर्ड का उपयोग फिल्म निर्माण के सभी क्षेत्रों में होता है जैसे फीचर फिल्म, एनीमेशन, फोटोशूट, टेलीविज़न विज्ञापन इत्यादि लेकिन स्टोरीबोर्ड का उपयोग सब से ज़्यादा टेलीविज़न विज्ञापन के लिए होता है क्योंकि सब से ज़्यादा शूटिंग विज्ञापन की ही होती है. किसी भी विज्ञापन की शूटिंग स्टोरीबोर्ड के बिना लगभग असंभव है. क्यों हर विज्ञापन से पहले उस ब्रांड की कंपनी से लेकर एजेंसी तक सब को यह देखना होता है की निर्देशक उन के ब्रांड को ज़्यादा से ज़्यादा कैसे दिखा सके।
एक विज्ञापन फिल्म का स्टोरीबोर्ड बहुत ही प्रोफेशनल होना चाहिए, लोगों के हावभाव स्पष्ट होने ज़रूरी हैं, फ्रेम में रंग भी ब्रांड के अनुरूप होने चाहिए जैसे डेटोल के विज्ञापन में जहाँ तक संभव हो हरे रंग का उपयोग किया जाता है कोलगेट के विज्ञापन में ज़्यादातर लाल रंग का उपयोग होता है इत्यादि, जब तक विज्ञापन कंपनी स्टोरीबोर्ड के हर पहलु से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती काम आगे बढ़ ही नहीं सकता।
भारत का बहुत बड़ा बाजार है, पूरे एशिया में फ़िल्में और विज्ञापन सब से ज़्यादा भारत में ही बनते हैं। यहाँ तक की कुछ पडोसी देश भी विज्ञापन बनाने और स्पेशल इफ़ेक्ट के लिए भारत ही आते हैं। इस प्रकार भारत तारीख में स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट बहुत मांग है।