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मॉनसून के बाद संक्रमण से रहें सावधान, चिकनगुनिया-डेंगू से रहें बचकर
Wednesday, September 11, 2019 - 11:21:49 PM - By फीचर डेस्क

मॉनसून के बाद संक्रमण से रहें सावधान, चिकनगुनिया-डेंगू से रहें बचकर
प्रतीकात्मक चित्र
मॉनसून के बाद कई संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें पेट और त्वचा के संक्रमण प्रमुख हैं। इसलिए बारिश का मौसम बीत जाने के बाद आप बिल्कुल निश्चिंत न हो जाएं, बल्कि सावधान रहें। ऐसे संक्रमणों से बचाव के बारे में जानकारी दे रही हैं चयनिका निगम

संक्रमण और मॉनसून का रिश्ता बहुत गहरा है। एक प्राइवेट मेडीक्लेम कंपनी की रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है। यह रिपोर्ट कहती है कि मॉनसून में मेडीक्लेम का इस्तेमाल अचानक बढ़ जाता है। इसकी वजह बनती हैं संक्रमण वाली बीमारियां। इस मौसम में संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, वायरल फीवर, फंगल संक्रमण, अस्थमा आदि प्रमुख हैं।

बीमारियों का खतरा
ये संक्रमण शरीर के किसी खास अंग को ही नहीं सताते, बल्कि मॉनसून के बाद पूरे शरीर में ही संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर इस समय पेट संबंधी रोग बढ़ जाते हैं, इसके अलावा त्वचा और बालों का भी इस मौसम में खास ख्याल रखना होता है। मॉनसून के बाद भी मौसम संबंधी रोग घेरते हैं।

बढ़ जाते हैं बैक्टीरिया
मॉनसून को बीमारियों का मौसम माना जाता है। मॉनसून के बाद का समय भी कम घातक नहीं होता। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि सर्दी-गर्मी के मुकाबले इस मौसम में लोग बहुत बीमार पड़ते हैं। इसका कारण इस मौसम का तापमान होता है। इस वक्त तापमान 20 से 25 डिग्री के करीब रहता है और इसमें बहुत ज्यादा नमी होती है। इसी वजह से वातावरण में बैक्टीरिया और वायरस काफी संख्या में पनपने लगते हैं।

चिकनगुनिया-डेंगू से बच कर रहना
यह चिकनगुनिया-डेंगू जैसे संक्रमण के लिए भी अनुकूल समय होता है। इस वक्त एडिस नाम के मच्छर खूब परेशान करते हैं। इसी वजह से चिकनगुनिया-डेंगू जैसी बीमारियां घर करने लगती हैं। दरअसल, मच्छर के एक बार काटने से ही शरीर में वायरस आ जाता है। जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन पर इसका असर होने लगता है। तेज बुखार के अलावा सिरदर्द और उल्टी-दस्त भी होता है। खास बात यह है कि यह खुद ब खुद ही ठीक भी होता है और इसमें 5 से 10 दिन का समय लगता है। यही वजह है कि डॉक्टर सिर्फ लक्षणों का इलाज करते हैं। याद रखें कि डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर सुबह या शाम को ही काटते हैं।

दम पर भारी अस्थमा
मॉनसून के बाद का समय अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक होता है। बारिश के समय प्रदूषण हवा में नहीं होता, बल्कि नीचे जम जाता है। बारिश बीतते ही फिर से इसका असर शुरू हो जाता है।

जब हाथ से निकले बात
चिकनगुनिया-डेंगू वैसे तो समय के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन अगर सीमित समय में मरीज ठीक नहीं होता है, तो प्लेटलेट कम होने लगते हैं। हालांकि 100 में से एक रोगी को ही यह दिक्कत होती है। ऐसा उल्टियां ज्यादा होने की वजह से होता है। दरअसल उल्टियां होने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट कम हो जाते हैं और प्लेटलेट काउंट में गिरावट आने लगती है।
बरतें सावधानी
पानी या तो उबाल कर पिएं या फिर इसमें क्लोरीन की टैबलेट डालें।
हाथों को बार-बार धोएं। मरीज से मिलें, तो मुंह ढककर रखें।

(फिजिशियन डॉ. अनिल बंसल से
की गई बातचीत पर आधारित)