Tuesday, October 15, 2024

न्यूज़ अलर्ट
1) नए कीर्तिमान बना रहे है अंशुमान सिंह राजपूत .... 2) 21 फरवरी 2025 को रिलीज होगी अजय देवगन की फिल्म ‘रेड 2’.... 3) रामोजी फिल्म सिटी में शुरू हुआ फिल्म स्टार वरुण तेज की फिल्म मटका का अंतिम शेड्यूल.... 4) 6 साल तक नहीं गया ऑफिस फिर भी मिला बेस्ट अवार्ड.... 5) 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को मिलेगा ‘आयुष्मान योजना’ का लाभ.... 6) 'आरक्षण को 50 फीसदी से आगे ले जाएंगे', विवाद के बाद राहुल गांधी ने अपने बयान पर दी सफाई.... 7) राहुल गांधी जब आरक्षण पर भाजपा को घेरते हैं, तो मायावती को होता है सबसे ज्यादा दर्द : उदित राज....
शनि-मंगल की युति अचानक होती है शुभ-अशुभ घटनाएँ
Sunday, September 20, 2020 - 5:22:45 PM - By आचार्य रजनीश मिश्रा

शनि-मंगल की युति अचानक होती है शुभ-अशुभ घटनाएँ
सांकेतिक चित्र
शनि-मंगल की युति
अचानक होती है शुभ-अशुभ घटनाएँ
शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है। कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है, वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सारे सुख दे डालते हैं।

शनि व मंगल परस्पर शत्रुता रखते हैं। इसीलिए यदि किसी कुंडली में ये दोनों ग्रह साथ-साथ हों, चाहे शुभ भावों के स्थायी क्यों न हो, जीवन को कष्टकार बनाते ही हैं। ये ग्रह जिस भी भाव में साथ-साथ हो (युति में) या सम सप्तम हो (प्रतियुति) भावजन्य फलों की हानि ही करते हैं।

शनि-मंगल युति-प्रतियुति जीवन में आकस्मिकता का समावेश कर देती है। वैवाहिक जीवन, नौकरी, व्यवसाय, संतान, गृह सौख्य इनसे संबंधित शुभ-अशुभ घटनाएँ जीवन में अचानक घटती हैं। अचानक विवाह जुड़ना, अचानक प्रमोशन, बिना कारण घर बदलना, नौकरी छूटना, कार्यस्थल या शहर-देश से पलायन आदि शनि-मंगल युति के आकस्मिक परिणाम होते हैं।

इस युति के जातक कभी स्थायित्व प्राप्त नहीं करते, उन्नति व अव‍नति भी अचानक घटती रहती है। अन्य ग्रहों की स्थिति अनुकूल होने पर भी कम से कम आयु के 36वें वर्ष तक कष्ट व अस्‍िथरता बनी ही रहती है, फिर धीरे-धीरे स्थायित्व आता है। यह युति सरकारी नौकरी, उच्चपद प्रतिष्ठा प्राप्ति में भी रोड़े अटकाती है। पैरालिसिस जैसी बीमारी भी हो सकती है।

सप्तम स्थान में यह युति अत्यंत हानिकारक परिणाम देती है। मंगल के कारण तनाव-विवाद बनता है मगर शनि तुरंत विच्छेद नहीं होने देता। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कष्ट बना रहता है, व्यवनाधीन होने, कटु वक्ता होने के भी योग बनाता है और तालमेल के अभाव में वैवाहिक जीवन दुखी बनाता है।

ज्योतिष आचार्य रजनीश मिश्रा