बृहस्पति ग्रह 5 नवंबर 2019, मंगलवार 00:03 बजे अपनी राशि धनु में गोचर करेगा और 29 मार्च 2020, रविवार रात्रि 19:08 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। गुरु बृहस्पति के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर होगा।
मेष लग्न :
गुरु ग्रह स्वामी ग्रह है 9th और 12th भावो का, लग्नेश मंगल का मित्र और भाग्य भाव का स्वामी होने के कारण गुरु ग्रह को 12वे भाव का स्वामी होने का दोष नहीं लगता , इस लिए गुरु ग्रह मेष लग्न वालों को हमेशा शुभ फल देता है । 9वे भाव का स्वामी ग्रह अपने ही भाव में होना भाग्य उदय देगा, लेकिन साथ में 12वे भाव के प्रभाव भी रहेंगे , जिसकी वजह से नई चीज़ों का जीवन में आगमन, नई नोकरी, नए व्यवसाय शुरू करने के अवसर, घर और नोकरी में स्थान परिवर्तन , विदेश जाने के योग , नदी के पार यात्रा से लाभ होगा । खुद की प्रॉपर्टी बनाने के लिए समय अच्छा है । घर के बड़ो की , बुजुर्गों की , बड़े भाई बहनों की सलाह मानेंगे तो जीवन में तरक्की होगी ।
वृषभ लग्न :
गुरु ग्रह स्वामी ग्रह है 8th और 11th भावो का, लग्नेश शुक्र का शत्रु ग्रह और 8th भाव का स्वामी होने के कारण विपरीत फल देने वाला ग्रह है । इस लिए ऐसे ग्रहो का गोचर कुण्डली के 3, 6, 8, 12वे भाव में होने पर शुभता देता है । इस तरह 8th भाव में यह गोचर शुभकारी रहेगा । भले ही 8th भाव लम्बे रोग, दुर्घटना और दुख का भाव है , लेकिन गुरु ग्रह शुभकारी ग्रह है । इस लिए यह गोचर पुराने रोग, बीमारी, झगड़े और परेशानी को दूर करेगा, खास कर अगर किसी महिला की वृषभ लग्न है और उनको लम्बे समय से संतान प्राप्ति का इंतजार है तो गुरु का यह गोचर उनको संतान सुख दे सकता है , जिन पुरुषों को नोकरी में तरक्की का इंतजार है या फिर किसी अच्छी नोकरी का इंतजार है उनकी भी यह इच्छा पूरी हो सकती है । कुण्डली के 2nd और 4th भावो पर गुरु ग्रह की दृष्टि इन विषयों ( धन, परिवारिक सुख, प्रॉपर्टी, वाहन ) की प्राप्ति देगी ।
मिथुन लग्न :
गुरु ग्रह स्वामी ग्रह है 7th और 10th भावो का, लग्नेश बुध का शत्रु और 7वे भाव का स्वामी होने के कारण विपरीत फल देने वाला ग्रह है । क्योंकि गुरु ग्रह भोगकारक ग्रह नहीं, सिर्फ विषयो की प्राप्ति का ग्रह है, इस लिए सप्तम भाव से संबंधित विषयों की प्राप्ति ( प्रेमी / प्रेमिका, जीवनसाथी, सरकारी नोकरी, व्यवसाय की शुरुआत ) के लिए समय मदद करेगा , लेकिन भोग के लिए यह समय शुभ नहीं इस लिए जो पहले से व्यवसाय चला रहे हैं उनके लाभ में कमी आएगी इस लिए 7वे भाव की गुरु ग्रह की शर्त पूरी करें किसी बड़े बुजुर्ग की सलाह को अपने व्यवसायक वृद्धि के लिए शामिल करें । जो गृहस्थ जीवन में हैं नवविवाहित हैं उनके रिश्ते में समस्या आएगी । चाहे प्रोफेशनल हो या पर्सनल हो नए लोगो से जुड़ने पर लाभ और सम्मान की प्राप्ति होगी ।
कर्क लग्न :
गुरु ग्रह 6th और 9th भाव का स्वामी ग्रह, लग्नेश चन्द्रमा का मित्र होकर शुभकारी फल देने वाला ग्रह है । ऐसे शुभकारी ग्रह का गोचर कुण्डली के 6th भाव में शुभ नहीं होता , क्योंकि कुण्डली का यह भाव रोग स्थान है और गुरु ग्रह घर बड़ो का कारक है , इस लिए घर के बड़ो को कुछ कष्ट रहेगा, सांस और ह्रदय संबंधित रोग होने पर विशेष ध्यान रखें । कुण्डली का 6th भाव का संबंध वास्तु में वायव्ह कोन ( उत्तर - पश्चिम दिशा ) से है इसको रुदन स्थान भी कहा जाता है, यानी नाराज़गी का स्थान इस लिए घर के बड़े , या फिर कार्यक्षेत्र में आस पास के लोग आपसे नाराज़ रह सकते हैं , बड़े अधिकारी लोगो की नाराजगी की वजह से नोकरी में परेशानी रहेगी । नोकरी और व्यवसाय में कोई बाधा ना आये इस के लिए उपाये के तौर पर धन भाव को मज़बूत करें , गुरुवार के दिन पीले चने की दाल मंदिर में अर्पित करें , और मस्तक पर 43 दिनों तक हल्दी / केसर का तिलक करें , गुरु ग्रह का मन्त्र जाप करें ।
सिंह लग्न :
गुरु ग्रह 5th और 8th भाव का स्वामी, लग्नेश सूर्य का मित्र होकर शुभकारी फल देने वाला ग्रह है । और अष्टमेश होने के कारण सुख दुख जीवन में अचानक आते हैं , और कभी कभी अचानक यात्रा का योग भी बन जाता है । गोचर 5 नवंबर से पंचम भाव में रहने से पंचम भाव से संबंधित विषयों से सुख मिलने के योग बनेंगे, जिनको प्रेमी / प्रेमिका या जीवनसाथी की तलाश है उनकी यह इच्छा पूरी होगी, नोकरी / व्यवसाय में तरक्की की इच्छा पूरी होगी । लग्न और भाग्य भाव पर दृष्टि होने से किसी अच्छी और प्रतिष्ठित स्थान पर नोकरी या शिक्षा प्राप्ति के योग बनेंगे । 23 जनवरी तक पंचमेश और सप्तमेश की युति के कारण विवाह होने के योग बनेंगे , अगर सप्तम भाव से संबंधित दशा चल रही है तो रिश्ता तय हो सकता है , या फिर अच्छी जगह नोकरी के योग बनेंगे ।
कन्या लग्न :
गुरु ग्रह 4th और 7th भाव का स्वामी , लग्नेश बुध का शत्रु ग्रह है इस लिए शुभकारी ग्रह नहीं । लेकिन क्योंकि गोचर 4th भाव में रहेगा शुभ भाव में होने से गुरु ग्रह शुभकारी परिणाम देगा । चतुर्थ भाव से संबंधित विषय ( घर, वाहन, मातृ सुख, मानसिक खुशी ) की प्राप्ति होगी , गुरु ग्रह की दृष्टि अष्टम और व्यय भाव पर होने से शारीरिक सुख की प्राप्ति, रोग से मुक्ति , धन और स्त्री सुख की प्राप्ति के योग बनेंगे । जो लोग ज्योतिष शास्त्र या किसी तरह की सिद्धि चाहते हैं उनकी साधना और तप इस समय किये गए सफल होंगे । जो लोग किसी भी तरह से शिक्षा और अध्ययन के कार्यो से जुड़े हुए हैं उनको भी सम्मान की प्राप्ति होगी । अगर व्यक्तिगत कुण्डली में 4th भाव में अशुभ ग्रह ( मंगल / शनि / राहु / केतु ) है तो इस शुभ गोचर का लाभ नहीं मिलेगा , इस लिए 4th भाव की शुभता के लिए उपाये करें ।
तुला लग्न :
गुरु ग्रह 3rd और 6th भावो का स्वामी , और लग्नेश शुक्र का शत्रु होकर प्रबल अशुभकारी फल देने वाला ग्रह है । लेकिन जब भी ऐसे अशुभकारी ग्रहो का गोचर 3, 6, 8, 12वे भाव में हो तो वह अशुभ फल नहीं देता , इस लिए कुण्डली के 3rd भाव में यह गोचर शुभ फल देगा । कुण्डली के 3, 7, 11वे भावो को कामपूर्ती के भाव कहा जाता है , इस गोचरीय प्रभाव से 3, 7, 11वे भाव से संबंधित विषयों ( साहस और पराकर्म, प्रॉपर्टी से धन कमाने वालो को लाभ, अविवाहित के विवाह के योग, बेरोजगार के लिए नोकरी के योग, प्रयास करने वालो को सरकारी नोकरी के योग, बड़े भाई बहनों से सुख , सामाजिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति ) में वृद्धि होगी । उपाये के तौर पर दाहिनी कलाई पर लाल धागा धारण करें ।
वृश्चिक लग्न :
गुरु ग्रह 2nd और 5th भाव का स्वामी ग्रह, लग्नेश मंगल का मित्र होकर शुभकारी फल देने वाला ग्रह है । इस लिए 2nd भाव में यह गोचरीय प्रभाव धन भाव में आकर आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, अगर अब तक आपको आय का स्थाई साधन प्राप्त नहीं हुआ है तो इस गोचर से आपको स्थाई साधन की प्राप्ति नोकरी या व्यवसाय की शुरुआत हो सकती है , खास कर यदि आप बैंक या अन्य किसी वित्तिय संस्थान में नोकरी की तलाश करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी , बड़ो की सलाह से उनके साथ से किसी कार्य को शुरू करेंगे तो उस मे भी आपको सफलता मिलेगी । गुरु की दृष्टि छठे और दसम भाव पर होने से as profession सब कुछ उम्दा होता रहेगा , अगर कही से बड़ी मात्रा में धन लेकर ( कर्ज़ या उधारी से ) कोई कार्य करना चाहते हैं तो उस मे भी सफलता मिलेगी , रोग भाव पर दृष्टि होने से रोग और ऋण शांत रहेंगे । पंचमेश 2nd भाव में होने से परिवार की खुशी के लिए किए गए कार्यो से आपको सम्मान की प्राप्ति होगी ।
धनु लग्न :
गुरु ग्रह लग्न और चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह होकर योगकारक ग्रह है । इस लिए लग्न भाव में यह गोचर आपको हर तरह के सुख प्रदान करेगा । लेकिन ध्यान दें कि व्यक्तिगत कुण्डली में लग्न भाव में कोई अशुभ ग्रह ( मंगल, शनि, राहु, केतु ) विराजमान ना हो , तभी आपको इस गोचर का लाभ मिलेगा । आप गुरु ग्रह की मज़बूती के लिए पुखराज रत्न धारण करें , मस्तक पर हल्दी का तिलक 43 दिनों तक करें । यह गोचर लग्न, पंचम और नवम भाव से संबंधित विषयों ( व्यवसायक सफलता, जीवनसाथी का सुख और सहयोग, बड़ो का साथ और आशीर्वाद, धार्मिक यात्रा, घर परिवार में शुभ कार्य , नई प्रॉपर्टी और वाहन , खास कर जो real estate और automobile से जुड़े हैं , medical और शेयर बाजार से जुड़े हैं उनको लाभ और सम्मान की प्राप्ति होगी ।
मकर लग्न :
गुरु ग्रह 3rd और 12th भाव का स्वामी ग्रह, लग्नेश शनि का शत्रु ग्रह होकर अशुभ फल देने वाला ग्रह है । 12वे भाव में गोचर होने से ( अगर आपकी व्यक्तिगत कुण्डली में पहले से ही अशुभ ग्रह विराजमान हैं ) तो आपकी मानहानि के योग बनेंगे , कोई महत्वपूर्ण पद या प्रतिष्ठा की हानि होगी , नोकरी में स्थान परिवर्तन की वजह से परेशानी होगी , अगर किसी कर्ज़ या उधारी में हैं तो आपकी समस्या बढ़ेगी , घर की कीमती वस्तु ( सोना, रत्न ) की हानि का योग है , किसी बुजुर्ग की तबियत खराब रह सकती है । लेकिन अगर आपकी व्यक्तिगत कुण्डली में 12वे भाव पर कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं तो स्थान परिवर्तन सकारात्मक होंगे, अगर समय प्रॉपर्टी को सौदा लाभ देगा , विदेश यात्रा से लाभ होगा , चतुर्थ और अष्टम भाव पर गुरु की दृष्टि घर खरीदने के योग देगी , रोग मुक्ति के लिए उपचार करवाने के लिए यह समय उत्तम है , किसी तरह का झगड़ा या शत्रु बाधा है तो उस के समाधान के लिए यह समय उत्तम है । उपाये के तौर पर घी का दीपक घर के मंदिर में जगाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ गुरुवार के दिन करें ।
कुंभ लग्न :
गुरु ग्रह 2nd और 11th भावो का स्वामी ग्रह होकर , लग्नेश शनि का शत्रु ग्रह , और कुण्डली में मारकेश भी है , इस लिए गुरु ग्रह अशुभकारी ग्रह है । गुरु का गोचर 11वे भाव में , यह धनराजयोग कि स्थिति है, क्योंकि ज्योतिष अनुसार 2nd भाव के स्वामी ग्रह का 11th भाव में आना धन योग देता है, किसी बुजुर्ग के माध्यम से धन या प्रॉपर्टी की प्राप्ति , नोकरी में तरक्की होगी । खास कर जिनका कार्यक्षेत्र 2nd भाव से संबंधित है यानी कि धन से संबंधित, वाणी से संबंधित, वस्त्रो से संबंधित हैं उनको समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी । जो लोग ज्योतिष से भी जुड़े हुए हैं या संगीत से जुड़े हुए हैं उनकी वाणी मधुर या बोली गई बात सही सिद्ध होने से प्रतिष्ठा और सम्मान की प्राप्ति होगी । कुण्डली के 2, 5, 7वे भाव पर गुरु ग्रह की दृष्टि होने से , अगर सप्तम भाव से संबंधित दशा भी चल रही है तो अविवाहित लोगो के विवाह का योग बनेगा , जिनको संतान प्राप्ति की इच्छा है उनको संतान प्राप्ति होगी ।
मीन लग्न :
गुरु ग्रह लग्न और दसम भाव का स्वामी ग्रह होकर योगकारक ग्रह है । हालांकि ज्योतिष अनुसार दसम भाव में गुरु ग्रह की स्थिति को शुभकारी नहीं कहा जाता , लेकिन जब गुरु लग्नेश होकर दसम भाव में आ जाये तो यह राजयोग ग्रह की तरह फल देता है , शर्त सिर्फ यह है कि आपकी व्यक्तिगत कुण्डली में दसम भाव में अशुभकारी ग्रह ( मंगल, शनि, राहु, केतु ) की स्थिति ना हो , अगर दसम भाव पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव है तो पहले उस ग्रह का उपाये करें, और उस के बाद पुखराज रत्न धारण करें , तभी आपको इस गोचर का लाभ मिलेगा । शुभ प्रभाव के रूप से कुण्डली के 2, 4, 6 भावो से संबंधित विषयों ( धन की मज़बूत स्थिति, कर्ज़ / रोग / शत्रुता से मुक्ति, प्रॉपर्टी और वाहन सुख की प्राप्ति, कोई कोर्ट केस हो तो उस में मन मुताबिक फैसला आ सकता है ) , जो भी प्रॉपर्टी , hotel / restro / automobile के कार्यो से जुड़े हुए हैं उन के लिए यह गोचर लाभ और सम्मान की वृद्धि करेगा।