जुडो क्वीन के नाम से जाने जाने वाली और भारत की पहली महिला अर्जुन अवार्डी पूनम चोपड़ा के जीवन पर बनेगी एक बायोपिक फ़िल्म।
पिछले कई सालों से बॉलीवुड में बायोपिक बहुत सी बॉयोपिक फिल्में बनी है, पूनम चोपड़ा की ज़िंदगी के संघर्ष और उनके जीवन मे आये उतार चढ़ाव की कहानी बहुत रोंचक है, जिसकी वजह से कुछ फ़िल्म निर्माता निर्देशक और लेखक उनके ऊपर बॉयोपिक बनाने के लिए उत्सुक है, परंतु अभी तक कुछ निश्चित नही हुआ है, कॅरोना काल की लंबी अवधि के कारण बात रुक गयी है कि सबसे पहले फ़िल्म कौन शुरू करेगा।
पूनम चोपड़ा ने बताया कि हॉलीवुड के एक निर्देशक भी उनसे मिलने आये थे, और कई फिल्मी हस्तियां उनसे मिल चुकी है, परंतु अभी मैंने किसी को बॉयोपिक बनाने के लिए किसी को हां नही कहा है।
पूनम चोपड़ा ने 1993 में हुई एशियन चैम्पियनशिप में देश को पहली बार जूडो में रजत पदक दिलाया उसके बाद 1994 में एशियन गेम्स में भी चांदी का तमगा जीता। पूनम लगभग 35 बार विदेशी धरती पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली देश की एकमात्र जूडोका हैं। पूनम को भारत की झोली में एक-दो नहीं बल्कि 20 पदक डालने का श्रेय हासिल है।
पूनम चोपड़ा ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने जिन्दगी में बहुत मुश्किल फैसले लिए और मुश्किल दौर से दो-चार भी हुईं। पूनम ने परिवार के गुस्से की परवाह न करते हुए जहां जूडो को अपनाया वहीं सफलता का परचम भी फहराया।
खिलाड़ी और चोट एक-दूसरे के पूरक हैं। पूनम को 2005 में ऐसी चोट लगी कि उन्हें लम्बे समय के लिए खेल से बाहर होना पड़ा, पर जीवटता की धनी पूनम दस साल ब्रेक के बाद 2015 में जब जूडो के मैदान में उतरीं तो उसी पुराने अंदाज में। पूनम का इस खेल के प्रति लगाव घटने की बजाय और बढ़ गया। अर्जुन अवार्डी पूनम फिलहाल द्रोण की भूमिका में जूडो खिलाड़ियों को तराश कर उन्हें अर्जुन बनाने में लगी हुई हैं। और हरियाणा खेलकूद विभाग में सीनियर जूडो कोच के पद पर कार्यरत हैं।