मै इससे जुड़ी अपने जीवन की घटना बताता हु ,बात कुछ वर्ष पुरानी है, यह उन दिनों की है ,जब मै आध्यत्मिक शिक्षा ले रहा था। मेरे साथ मेरे एक गुरु भाई भी थे।
मेरे गुरु देव ने मुझसे पूछा की आध्यत्म मार्ग के बारे में कुछ पता है तुम्हे ,मैंने कहा गुरु देव ,मुझे कुछ नहीं पता ,आप मुझे इसमें शून्य समझिये। मेरे गुरुदेव ने कहा ,तब तो ठीक है ,तुम संभव है , वर्षो में प्राप्त होने वाली विद्या ,कुछ महीनो में ही प्राप्त कर सकते हो।
मेरे दूसरे गुरु भाई जो मेरे साथ शिक्षा शुरू करने जा रहे थे ,उनसे पूछा क्या तुम्हे इस मार्ग के बारे में कुछ पता है। उन्होंने कहा ,हा ,मै थोड़ा जानता हु। गुरु देव ने कहा ,अच्छा फिर तो कई वर्ष लगेंगे तुम्हे विद्या प्राप्त करने में।
मेरे गुरु भाई ने पूछा ,ऐसा क्यों गुरु देव। गुरु देव ने कहा क्युकी तुम थोड़ा बहुत जानते हो इसलिए मै जो कहूंगा तुम उसके आगे आगे भागोगे। मेरे शब्दो पर तुम्हारा ध्यान कम होगा इसके आगे जो मै बोलने वाला रहूँगा तुम वह सोचते रहोगे। कु तर्क करने का मन करेगा। जिससे विद्या प्राप्ति में बाधा आएगी। क्युकी तुम्हारा दिमाग का कटोरा थोड़ा सा भरा है। बार बार छलकेगा। उसको मुझे खाली करने में वक्त लगेगा। फिर मै अपने ज्ञान से उसको भरूंगा।
और इसका जिसको कुछ नहीं आता। ये मेरे हर शब्द को ग्रहण करता जायेगा और जल्द ही भर जायेगा।
ॐ गुरुवे नमः। भज गोविन्दं मूढ़मते।
ज्योतिषी आचार्य रजनीश मिश्रा
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