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कब है ,जन्‍माष्‍टमी?
Wednesday, August 21, 2019 2:43:37 AM - By आचार्य रजनीश मिश्रा

भगवान श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. अगर अष्‍टमी तिथि के हिसाब से देखें तो 23 अगस्‍त को जन्‍माष्‍टमी होनी चाहिए, लेकिन अगर रोहिणी नक्षत्र को मानें तो फिर 24 अगस्‍त को कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी होनी चाहिए. आपको बता दें शास्त्रों में अष्‍टमी तिथि का महत्‍व सबसे ज्‍यादा है वहीं कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र होने पर ही जन्‍माष्‍टमी का पर्व मनाते हैं.
जन्‍माष्‍टमी कब है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि आठवें दिन मनाई जाती है. गृहस्थी यो के लिए तिथि के हिसाब से जन्‍माष्‍टमी 23 अगस्‍त को मनाई जाएगी. क्युकी जन्म आष्ट्मी मध्य रात्रि में मनाई जाती है और अष्ट्मी 23 की मध्य रात्रि रहेगी 24 को नहीं इसलिए 23 को मना ना शस्त्रोंक्त उचित है। वहीं,वैष्णवों और रोहिणी नक्षत्र को प्रधानता देने वाले लोग 24 अगस्‍त को जन्‍माष्‍टमी मना सकते हैं.

जन्‍माष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
जन्‍माष्‍टमी की तिथि: 23 अगस्‍त और 24 अगस्‍त.
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से.
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 24 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक.

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्‍त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 25 अगस्‍त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक.

व्रत का पारण: व्रत रखने वालों को अष्‍टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के खत्‍म होने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए. अगर दोनों का संयोग नहीं हो पा रहा है तो अष्‍टमी या रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद व्रत का पारण करें.

जन्‍माष्‍टमी का व्रत कुछ इस तरह रखने का विधान है:
- जो भक्‍त जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्‍हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए.
- जन्‍माष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद भक्‍त व्रत का संकल्‍प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्‍टमी तिथि के खत्‍म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोला जाता है.

जन्‍माष्‍टमी की पूजा विधि
जन्‍माष्‍टमी के दिन भगवान कृष्‍ण की पूजा का विधान है. अगर आप अपने घर में कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का उत्‍सव मना रहे हैं तो इस तरह भगवान की पूजा करें:
- स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर में कृष्ण जी या लड्डू गोपाल की मूर्ति को सबसे पहले गंगा जल से स्नान कराएं.
- इसके बाद मूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर के घोल से स्नान कराएं.
- अब शुद्ध जल से स्नान कराएं.
- इसके बाद लड्डू गोपाल को सुंदर वस्‍त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें.
- रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजन करें और फ‍िर आरती करें.
- अब घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद का वितरण करें.
- अगर आप व्रत कर रहे हैं तो दूसरे दिन नवमी को व्रत का पारण करें.

आचार्य रजनीश मिश्रा
संपर्क सूत्र -902512777