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भीड़ का कोई मज़हब नहीं होता / सैयद सलमान
Saturday, March 2, 2024 11:52:05 PM - By सैयद सलमान

अरबी में लिखी हर बात क़ुरआन नहीं है
साभार- दोपहर का सामना 01 03 2024

गत दिनों पाकिस्तान के लाहौर शहर की एक महिला चर्चा में रही। महिला ने अरबी कैलीग्राफी वाला डिज़ाइनर लिबास पहन रखा था। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखता है कि अपना चेहरा हाथों से छुपाए और माफ़ी मांगती एक महिला के आसपास जमा सैकड़ों लोगों की भीड़ का शोर गूंज रहा है। क्रोधित भीड़ अरबी कैलीग्राफी के कारण महिला के लिबास पर मुद्रित शब्दों को क़ुरआनी आयत समझती है और महिला पर ईशनिंदा का आरोप लगा रही है। महिला और उसके पति ने एक दुकान में शरण ले रखी है। कोई भी लिबास पर मुद्रित शब्दों का अनुवाद नहीं पता करना चाहता। पुलिस द्वारा भीड़ से बचाकर ले जाई गई महिला बाद में माफ़ी मांगने वाला वीडियो डालती है। घटना के बाद मुस्लिम उलेमा इस बात की पुष्टि करते हैं कि महिला के लिबास पर मुद्रित शब्द क़ुरआन की आयतें नहीं हैं। चूंकि महिला ने भविष्य में ऐसी पोशाक नहीं पहनने की बात कही, इसलिए उसकी माफ़ी भी स्वीकार कर ली जाती है। इस एक घटना से इस्लामी मुल्क पाकिस्तान की जहालत पूरी दुनिया में मशहूर हो जाती है। पाकिस्तान की ज़ुबान उर्दू है, जिसकी लिपि अरबी से मेल खाती है, वहां के लोगों से महिला के लिबास पर लिखा शब्द नहीं पढ़ा जाता, उन्हें बस अरबी लिखावट याद रहती है।

दरअसल उस महिला ने एक मशहूर सऊदी ब्रांड का लिबास पहन रखा था। ऐसे अरबी शब्द वाली डिज़ाइन वहां आम है। इसी तरह पाकिस्तान में तो अब कपड़ों पर उर्दू शायरी और तरह-तरह के भाव लिखे जाते हैं। अरबी भाषा, अरब देशों में लिखी-पढ़ी जाने वाली भाषा है। हर भाषा की तरह इस भाषा में भी साहित्य, संगीत से लेकर अश्लील शब्दों तक सब कुछ मौजूद है। दिलचस्प बात यह है कि महिला की पोशाक पर मुद्रित सबसे प्रमुख शब्द 'हलवा' था, जिसका अर्थ 'सुंदर' और 'मीठा' होता है। 'हलवा' अपने आप में पाकिस्तानियों के लिए विशेष रूप से अपरिचित शब्द नहीं है, लेकिन जब ख़ून किसी के सिर पर सवार हो, तो उसकी बुद्धि सचमुच मंद पड़ जाती है। अब इसे अशिक्षा कहें या नासमझी, लेकिन इस एक घटना ने धर्मांध लोगों की मानसिकता की पोल खोल दी है। हमारे देश में भी इसी तरह कथित धर्मप्रेम के नाम पर एक-दूसरे समाज के लोगों को भीड़ का शिकार बनाया जाता है। देश कोई भी हो, भीड़ का कोई मज़हब नहीं होता, न उनमें दया होती है। वह बस ख़ून के प्यासे और धर्म के ठेकेदार होते हैं। जो लोग धर्म के नाम पर धर्म के कथित अपमान पर अपनी सुविधानुसार प्रतिक्रिया देते हैं, वे ही दिन भर धर्मस्थलों से लेकर अदालतों, अपने कारोबार, नौकरी, समाजसेवा या राजनीति में अपने-अपने पवित्र धर्मग्रंथों का अपमान कर रहे होते हैं।

जहां तक अरबी लिपि की बात है, तो मुसलमानों को समझना चाहिए कि अरबी में लिखी हर बात क़ुरआन नहीं है। अरबी लिपि में निर्देशों के साथ शैंपू की बोतल, साबुन और अन्य सामान स्नानघर और शौचालय में रखे जाते हैं। उन चीजों को कैसे इस्तेमाल करना है उसका निर्देश हर पैक पर अरबी में लिखा होता है। क्या उन परामर्शों और हिदायात को क़ुरआन की आयत समझा जाएगा? अरबी में 'बैत-उल-ख़ला' यानी 'शौचालय' लिखे साइन बोर्ड भी तो होते हैं। खाड़ी देशों की मुद्रा दिरहम और रियाल पर भी तो अरबी भाषा ही अंकित होती है। वही लेकर लोग पाकी-नापाकी की हालत में हर जगह घूमते हैं। क्या इन बातों से अरबी का अपमान होता है? यानी मुसलमानों को समझना होगा कि अरबी महज़ एक ज़ुबान है। आयत और हिदायत में बड़ा फ़र्क़ है। शर्म की बात है कि मुसलमान इस अंतर को नहीं समझ पाता।

यह दुनिया भर में दंगों, प्रलोभनों, साज़िशों और परीक्षणों का दौर है। लाहौर की घटना बिना समझे घातक भक्ति का जीता जागता उदाहरण है। अभिभावकों, शिक्षकों, बुद्धिजीवियों और मीडिया जगत को इस जागरूकता पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है कि बिना समझे भावनाओं में बहकर प्रतिक्रिया देना बहुत ख़तरनाक है। जहां धर्म के प्रति समर्पण की शिक्षा दी जाती है, वहीं सही और ग़लत का ज्ञान भी ज़रूर दिया जाना चाहिए। क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों का भी कर्तव्य है कि बेबुनियाद आरोप लगाकर अराजकता फैलाने वालों को ऐसी सज़ा दें कि, भविष्य में कोई बिना जांच कराए भीड़ के रूप में हंगामा न कर सके। मॉब लिंचिंग न हो। समस्या यह है कि धर्म के नाम पर तैश उन लोगों को आता है जिन्हें दुआ-ए-क़ुनुत तक याद नहीं होगी। यही हाल अन्य धर्मों का भी है। जब तक सभी पवित्र ग्रंथों को ऊंचाई पर सजाकर रखने के बजाय उसे पढ़कर समझने का प्रयास नहीं होगा, तब तक भीड़ की इकाई बनते लोग धर्म-अधर्म को समझ ही नहीं पाएंगे।


(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)