वो धीरे से उठा और जोर से बोलने लगा
उसने कहा
मैं सनातन हूँ , मैं ही सत्य हूँ
फिर उसके नथुने फूलने लगे
त्यौरियां चढ़ गयीं
वो हाथ नचाकर समझाने लगा इतिहास
पृथ्वीराज चौहान पर गर्व दिखाकर उसने बजवा लीं तालियां
वो गिनाने लगा देश की गुलामी की तारीखें
गौरी वंश से लेकर ख़िलजी , सूरी , तुगलक , मुग़ल सल्तनत
और अंग्रेजों के लिए गालियां उलीच कर उसने खुद को बताया देशभक्त
रजिया सुलतान को भी कोसा जी 6लर
वो पाने लगा खुशामद में आनंद
उसे देशद्रोही लगने लगी
करगिल युद्ध के शहीद की बेटी गुरमेहर
लाल सलाम के नाम से ही उसके बदन पर उगने लगे कांटे
चिल्लाते हुए फाड़ने लगा गला
उगलने लगा ज़हर
सहिष्णुता की अर्थी उठाकर
सुलगा दी नफरत की आग
डर से कांपते हुए विकृत होने लगा उसका चेहरा
उसके इर्द-गिर्द उभरने लगे कुतर्कों के कवच
उसने अचानक खुद को भगवा में लपेट लिया
तिरंगे से खाने लगा खौफ
संविधान का उड़ाने लगा मखौल
अचानक उसने थाम ली शिवाजी महाराज की भवानी तलवार
वो खुद को बताने लगा महाराणा प्रताप
और ख्याली चेतक पर सवार होकर भुस में भांजने लगा तलवार
बोने लगा नफ़रत के बीज
उसके बयान में भर गयी बौखलाहट
जोर से लगाने लगा नारा
"ना मार्क्सवाद ,ना नक्सलवाद,
सबसे ऊपर राष्ट्रवाद "
और तभी
वन्देमातरम बोलते-बोलते
अचानक उसकी घिग्घी बंध गयी
वो देशभक्त अब चूतड़ खुजाते हुए ,
बगल में डंडा घुसेड़े चला जा रहा है
लाल सलाम को गरिया रहा है
वो मानता है कि उस दिन आएंगे "अच्छे दिन "
जिस दिन रौंद दिया जाएगा
लाल सलाम का चेहरा----