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जूम पर मुंह दिखाई, फिर डिजिटल पेमेंट के बाद बकरे की विदाई!
Sunday, July 18, 2021 4:32:45 PM - By विनय सिंह

सांकेतिक चित्र
मानगो निवासी और कारोबारी मो. सरफराज बताते हैं कि जिस तरह कोरोना के चलते लोगों का संपर्क कम हुआ, सोशल डिस्टेंसिंग की बात आई तो कारोबारियों ने सोच लिया था कि अगर पशुओं का कारोबार करना है तो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जाना होगा। लिहाजा बकरीद से बेहतर अवसर नहीं था और इसलिए जूम के अलावा सोशल मीडिया का सहारा लेकर हम बाजार में उतरे।
ऐसे होता है डिजिटल कारोबार:
कारोबारियों ने सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर जानवरों का प्रचार किया, उसके वजन, उसकी कीमत के साथ उसकी तस्वीरें पोस्ट की। साथ ही देखने के लिए वीडियो कॉलिंग, जूम एप आदि का सहारा लिया और लिंक भेजकर सौदा तय होने पर डिलीवरी की।
डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया:
अरमान कुरेशी बताते हैं कि जब कारोबार डिजिटल हो रहा है तो पेमेंट का भी डिजिटलीकरण होना चाहिए था, लिहाजा हमलोगों ने गूगल पे और फोन पे को भुगतान का जरिया बनाया और इसी तरह उनका यह कारोबार नई दुनिया के साथ सहज होता चला गया। उन्होंने बताया कि बाजार में बकरे आ रहे हैं और लोगों की भीड़ लग रही है, लेकिन उससे कहीं कम डिमांड डिजिटल बकरों के मार्केट की नहीं है।
दो बकरों पर फ्री डिलेवरी का ऑफर:
कारोबारी मो.अयूब खान बताते हैं कि तमाम ऑनलाइन मार्केटिंग साइट वाले होम डिलीवरी में फ्री का ऑफर रखते थे तो हमलोगों ने भी तय कर लिया कि ऑफर में फ्री डिलीवरी करेंगे और साथ ही यह भी ऑप्शन रखेंगे कि आप पेमेंट कैश ऑन डिलीवरी करते हैं या फिर पहले पेमेंट करते हैं।
फेसबुक पर सबसे बड़ा बाजार:
फेसबुक बकरों का बड़ा बाजार बन गया है। कारोबारी अलग-अलग पेज बनाकर उसमें बकरों की तस्वीरें पोस्ट करते हैं और उसपर उनका सौदा हो रहा है। सिर्फ बड़े कारोबारी ही नहीं बल्कि छोटे कारोबारी भी इसका सहारा ले रहे हैं और फोन पर बात कर सौदा तय कर रहे हैं।
व्हाट्सएप में ग्रुप भी बना:
इधर, लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है। ग्रुप में 200 से अधिक लोगों को जोड़ा गया है। उस समूह में बकरों की तस्वीर पोस्ट करते हैं। साथ ही उसके वजन, रंग-रूप बताते हैं। बकरे का बेस अमाउंट लिखते हैं और सौदे के लिए पर्सनल व्हाट्सएप पर सवाल-जवाब करते हैं। जब कारोबारियों को खरीदार की जिज्ञासा दिखती है तो उससे फोन कर सौदा तय कर लेते हैं।