Friday, April 26, 2024

न्यूज़ अलर्ट
1) अक्षरा सिंह और अंशुमान राजपूत: भोजपुरी सिनेमा की मिली एक नयी जोड़ी .... 2) भारतीय मूल के मेयर उम्मीदवार लंदन को "अनुभवी सीईओ" की तरह चाहते हैं चलाना.... 3) अक्षय कुमार-टाइगर श्रॉफ की फिल्म का कलेक्शन पहुंचा 50 करोड़ रुपये के पार.... 4) यह कंपनी दे रही ‘दुखी’ होने पर 10 दिन की छुट्टी.... 5) 'अब तो आगे...', DC के खिलाफ जीत के बाद SRH कप्तान पैट कमिंस के बयान ने मचाया तूफान.... 6) गोलीबारी... ईवीएम में तोड़-फोड़ के बाद मणिपुर के 11 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान का फैसला.... 7) पीएम मोदी बोले- कांग्रेस ने "टेक सिटी" को "टैंकर सिटी" बनाया, सिद्धारमैया ने किया पलटवार....
जो चुप रहेगी ज़ुबान-ए- खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का........
Tuesday, October 6, 2015 9:31:33 PM - By सैयद सलमान

दादरी और बनारस पर भी बोलिए साहब
ऑस्ट्रेलिया , बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, कनाडा , चीन, फ्रांस , फिजी, जर्मनी, आयरलैंड, जापान , कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान , मॉरीशस, मंगोलिया , म्यांमार, रूस, सेशल्स, सिंगापुर, श्रीलंका , दक्षिण कोरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान , संयुक्त अरब अमीरात, उज़्बेकिस्तान, नेपाल , यूनाइटेड स्टेट्स.......... कुछ याद आया?
अरे भई इंटरनेट पर उल्लेखित ये उन देशों के नाम हैं जहाँ का अब तक नरेंद्र मोदी दौरा कर चुके हैं....
इन देशों का दौरा करने वाले प्रधानमंत्री मोदी को भारत देश के एक गाँव दादरी जाने या वहां के बिगड़े हालात पर पर बोलने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. दादरी ही क्यों मोदी ने अबतक अपने ही संसदीय क्षेत्र बनारस की हिंसक घटनाओं पर भी चुप्पी साध रखी है. जिनकी जुमलेबाज़ी पर उनके भक्त वारी वारी हुए जाते हैं क्या उन्हें इस बात का आभास भी है कि ऐसे गम्भीर मुद्दों पर उनके नायक की चुप्पी उनकी चतुराई और घरेलु समस्याओं से मुंह मोड़ने वाली आदत की तरफ इशारा करती है.

सामाजिक समरसता बिगड़ती है तो बिगड़ती रहे… देश के प्रधानमंत्री का यह काम तो रह नहीं गया कि अफवाह तंत्र की सफ़ल योजना के तहत हुए एक क़त्ल और बनारस की सुलगती राजनीति पर मुंह खोले।
विदेशों की धरती पर मदद की पोटली खोलकर दानवीर बनने वाले प्रधानमन्त्री को क्या कोई उनका सिपहसालार अपने गाँव घर की हत्याओं और किसानों की क़र्ज़ के चलते की जाने वाली आत्महत्याओं के प्रति सचेत करने या उसके कारणों पर समीक्षा करने का साहस नहीं रखता। शायद नहीं.…क्योंकि आडवाणी को दरकिनार करने का सबूत सामने है। यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा भी तो उदहारण के तौर पर सामने हैं जिनको हाशिये पर धकेल दिया गया है।

उम्मीद की जिस पतवार के सहारे देश की कश्ती को सही दिशा में ले जाने का स्वप्न देखा गया था उसके हिचकोले खाने की स्थिति के बावजूद कोई भी उसपर बोलने को तैयार नहीं है। मोदी की चुप्पी ने उन सारे भ्रम को तोड़ दिया है कि इस देश का वर्तमान प्रधानमंत्री देश की तितर बितर होती सामाजिक विरासत पर सकारात्मक भूमिका निभाना चाहता है और सही मायने में सबका साथ सबका विकास के नारे को अमली जाम पहनाना चाहता है.

बनारस और दादरी की घटनाओं पर मोदी की चुप्पी कुछ और नहीं बल्कि उनकी उस प्रयोगशाला का वह नमूना मात्र है जिससे बानगी से सारा विश्व वाक़िफ़ है. लेकिन उन्हें भी तो इतनी बात जनता-जनार्दन की याद रखना चाहिए, कि "जो चुप रहेगी ज़ुबान-ए- खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का....."


- सैयद सलमान