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नफरतों को दूर कर गले मिले,आपस में न लड़कर कोरोना से लड़े
Wednesday, April 8, 2020 10:40:25 PM - By इंद्रेश दुबे

फ़ाइल फोटो


कल सामना में एक लेख पढ़ा श्री सैयद सलमान जी का अच्छा लगा क्योंकि उसमें एक आम मुसलमान की पीड़ा झलक रही थी । उन मुसलमानों की पीड़ा जिन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है, पर आज उन्हें भी कुछ लोगों के कारण नफरत झेलनी पड़ रही है । यह सही नहीं है यह तो नफरत फैलाने वालों का काम है । कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए ये नफरत हमें कमजोर कर रही है अगर हम नफरत से जीतेंगे तो कोरोना से जीतेंगे अन्यथा इसका नुकसान पूरे देश को भुगतना पड़ेगा और यह वह विनाश का वो तांडव होगा जिससे हम कभी उबर नहीं पाएंगे ।
अगर यह लेख उन लोगों तक पहुंचे जो नफरत का बाजार चला रहे हैं । इस विकट परिस्थिति में भी नफरत फैलाने से बाज नहीं आ रहें हैं। ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि हम ये जंग भाईचारे से ही जीत पाएंगे नफरत से नहीं, यह नफरत एक समाज की तरफ से नहीं है। इस नफरत के लिए दोनों समाज बराबर के जिम्मेदार हैं । हम भगवान से, अल्लाह से या गॉड से या सरल भाषा में कहें तो ऊपर वाले से गुजारिश करेंगे कि नफरत फैलाने वालों को सद्बुद्धि दे, इस महामारी में मिलकर लड़ने की ताकत दे । जिससे हम एक मिशाल कायम कर पाएं, क्या आप लोग नहीं चाहते कि भारत देश एक मिशाल कायम करें, अगर चाहते हो तो मेरी बातों पर गौर फरमाइएगा मैं यहां कौन गलत है, कौन सही है, यह फैसला नहीं करूंगा मैं होता ही कौन हूं गलत सही का फैसला करने वाला हां मैं गलत हूं या मैं सही हूं इसका फैसला मुझे खुद करना है और अगर हर भारतीय यह सोच ले मैं दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झाकुंगा तो शायद माहौल कुछ और होगा और हम कोरोना जैसी महामारी से जीत जाएंगे और नफरत का बाजार भी खत्म हो जाएगा ।
सोशल मीडिया में जो नफरतों का बाजार चला है देख के दुख होता है क्या यह वह सपनों का भारत है जिसे हमारे पूर्वजों ने आजाद कराने के लिए अपना जीवन त्यागा था ।
मेरा यह लेख दोनों पक्षों के लिए है अगर किसी एक पक्ष ने लापरवाही की या जानबूझकर किया तो उसका फैसला सरकार पर छोड़ दें संविधान के अनुसार उसका फैसला होगा हम कौन हैं उन्हें गलत बोलने वाले हां अगर किसी ने गलती की है तो उसे भी सोचने की जरूरत है । हम क्या कर रहे हैं अपने लोगों को संकट में डाल कर क्या हम खुश रहेंगे हम सो पाएंगे अरे पगलू समझो आप मौत बांट रहे हो मौत और मौत बांटने से ऊपर वाला कभी खुश नहीं होता पहले यह सोचो हम क्या कर रहे हैं अरे दूसरों को दुख देने के चक्कर में पहले अपने परिवार को अपने समाज को दुख दे रहे हैं ।अपने आपको दुख दे रहे हैं इसमें खुशी कहां है, समझो समझने की देरी है समझदार बनो लापरवाह मत बनो आपके इस कार्य से आपकी स्थिति से आप अपना जीवन अपने परिवार का जीवन अपने पड़ोसियों का जीवन उसके बाद देश का भविष्य गर्त में डाल रहे हो हां मेरा सभी लोगों से अनुरोध है कि किसी एक की गलती के कारण पूरे समाज को ना घसीटें हम क्यों भूल रहे हैं कि यह नफरत सिर्फ गंदगी पैदा करेगी क्यों ना प्यार से इन लोगो को समझाएं । मैं एक समाज को गलत नहीं कहुंगा । गलतियां तो दोनों समाज कर रहे हैं। क्या इन लोगो को प्यार से नहीं जोड़ा जा सकता हमें इनको समझाने की जरूरत है क्योंकि वे जाहिल हैं । इन लोगो को नहीं मालूम है ये क्या कर रहे हैं और उन को समझाने के लिए हर समाज के बुद्धिजीवियों को सामने आना होगा चाहे वह उस समाज का हो चाहे वह इस समाज का हो सोशल मीडिया के माध्यम से समझाया जा सकता है अगर सभी लोग अपनी- अपनी ज़िद में रहेंगे तो देश के भविष्य का क्या होगा यह सोचा है । आपने हमारे भविष्य का क्या होगा सोचा है । किसी एक को झुकने की जरूरत नहीं है । इस विकट परिस्थिति में या दोनों पक्ष झुक कर अपनी गलतियों को समझे और इसमें सुधार करें तो कितना अच्छा होगा यह मेरी पहल है । देश हित में क्या आप मेरी इस पहल को आगे बढ़ाने में मदद करोगे , इससे देश भी आगे बढ़ेगा हम भी इस विकट परिस्थिति से बाहर निकल पाएंगे । मेरे इस विचार से मेरे ही कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है । पर क्या करें मैं जानता हूं जो हो रहा है वह गलत है पर उन्हें उनकी गलती का एहसास दिलाना हमारा फर्ज है गलत तो दोनों पक्ष है। अगर एक पक्ष जाहिलों वाली हरकत कर रहा है । वहीं दूसरा पक्ष सोशल मीडिया से सारे समाज को गंदा साबित करने में लगा है । यह क्या जायज है
हमारा धर्म हमारे साथ उनका धर्म उनके साथ इन धर्मों से बड़ा इंसानियत का धर्म आओ मिलकर इंसानियत का धर्म निभाएं अपने लोगों के साथ- साथ देश को बचाएं ।