हाल के दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में काफी गिरावट देखी गई है । उसके बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा है । इस लेकर जनता काफी आश्चर्यचकित है की आखिर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई कमी का फायदा आम जनता को क्यों नहीं मिल रहा है ।
कैसा रहा तेल का बाजार
जनवरी माह ने अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमत 75 डॉलर के करीब थी । उस वक्त भारत में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 75 रुपए के आसपास थी । अब मार्च के महीने में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 31 डॉलर है । उसके बावजूद लोगों को 70 रुपए प्रति लीटर चुकाने पड़ रहे हैं। मतलब कच्चे तेल की कीमत में तो 50% तक गिरावट आ गई है और भारत में तेल कि कीमतों में सिर्फ 7% तक कमी कि गई है।
लोगों को नहीं हुआ फायदा
कच्चे तेल की प्रोसेस करके बीपीसीएल जैसी कंपनियां अपने डीलर जो 33 रुपए प्रति लीटर तेल देती हैं। उसके बाद उस पर एक्साइज ड्यूटी लगती है जो पहले 19 रुपए 58 पैसे थी ।जो अब 22 रूपए 58 पैसे हो जाएगी। उसके बाद उस पर राज्य सरकार वैट लगाती है जो सभी राज्यों में अलग - अलग है । जिसकी दर सभी राज्यों में 20 से 30 प्रतिसत के बीच है। इसी के साथ डीलर का अपना कमीशन जो 3 प्रतिसत तक है
। चूंकि हम तेल आयात करते है इसलिए डॉलर की कीमतों का भी असर पड़ता है । इस वक्त रूपए के मुकाबले डॉलर काफी मजबूत है इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में दाम काम होने के बावजूद आम जनता को नहीं मिल पाता है
कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का कारण
दरअसल ओपेक देशों और रूस के बीच तेल की कीमतों पर नियंत्रण को लेकर एक समझौता हुआ था। जिसके तहत दोनों आपस में ताल मेल बिठाते आ रहे थे । अब ओपेक देशों का प्रमुख देश है सऊदी अरब , हाल के दिनों में तेल के नियंत्रण को लेकर सऊदी अरब और रूस के बीच में विवाद हो गया । जिसके कारण उनके बीच का समझौता टूट गया और दोनों पक्षों ने कीमतों में गिरावट करना शुरू कर दिया । दरअसल सऊदी अरब अमेरिका को फायदा पहुंचाना चाहता था। जो रूस को बिल्कुल मंजूर नहीं था , जिसका नतीजा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भारी गिरावट के रूप में देखने को मिल रहा है।