श्रीसंत और उनके फैंस के लिए बड़ी खबर आई जब उच्चतम न्यायालय ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसंत पर बीसीसीआई की अनुशासनात्मक समिति द्वारा आजीवन प्रतिबंध लगाने का आदेश शुक्रवार को निरस्त कर दिया. समिति ने 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कथित भूमिका के लिये श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि बीसीसीआई की अनुशासनात्मक समिति श्रीसंत को दी जाने वाली सजा की अवधि पर तीन महीने के भीतर पुनर्विचार कर सकती है.
शीर्ष अदालत के जस्टिस अशोक भूषण और केएम जोसेफ की बेंच ने यह आदेश जारी किया. अदालत ने बीसीसीआई की अनुशासन समिति को आदेश दिया कि वह तीन महीने के भीतर श्रीसंत की सजा पर पुनर्विचार करे. हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसी केस में अदालत में चल रही आपराधिक मामले की सुनवाई पर इस आदेश का कोई असर नहीं पड़ेगा.
ग़ौरतलब है कि 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टूर्नामेंट के दौरान स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाए जाने के बाद श्रीसंत पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था. इसके ख़िलाफ़ श्रीसंत ने अदालत में याचिका लगाई थी. इसमें उन्होंने दलील दी थी कि पूर्व में कई क्रिकेट खिलाड़ियों पर ऐसे ही मामलों में लगा आजीवन प्रतिबंध बाद में हटा दिया गया. श्रीसंत का कहना था कि अगर उन फ़ैसलों पर पुनर्विचार हो सकता है तो उनके मामले में क्यों नहीं हाे सकता?’
श्रीसंत की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने अदालत में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन और पाकिस्तान के सलीम मलिक का उदाहरण दिया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिबंध की वज़ह से अपने खेल करियर का बेशकीमती समय गंवाने के बावज़ूद श्रीसंत बीसीसीआई के प्रति वफ़ादार हैं और वे बोर्ड से फिर जुड़ना चाहते हैं.