बेघर होता डॉन : नीलाम हो रही संपत्तियां, बेख़ौफ़ ख़रीददार....
साभार- दो बजे दोपहर 15 11 2017
अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और माफ़िया डॉन दाऊद इब्राहिम की सीबीआई द्वारा मुंबई में ज़ब्त की गई तीन संपत्तियां लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार नीलाम हो गईं. इन संपत्तियों को सैफ़ी बुरहानी अपलिफ़्टमेंट ट्रस्ट ने मुंबई के आईएमसी चैंबर ऑफ कॉर्मस एंड इंडस्ट्री में हुई नीलामी में सबसे ऊँची बोली लगाकर हासिल किया. यही ट्रस्ट दाऊद का गढ़ कहे जाने वाले मुंबई के भिंडी बाज़ार स्थित इन संपत्तियों की देखभाल कर रहा था. एसबीयू ट्रस्ट ने रौनक अफ़रोज़ होटल के लिए 4.53 करोड़ रुपए, डांबरवाला बिल्डिंग के लिए 3.53 करोड़ रुपए और शबनम गेस्ट हाउस के लिए 3.52 करोड रुपए की अंतिम बोली लगाकर इन संपत्तियों को खरीदा।
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम कासकर की कुल दस संपत्तियां ज़ब्त की थीं. सीबीआई ने 'द स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैन्युप्यूलेटर्स (फॉरफ़ीचर ऑफ़ प्रापर्टीज़) एक्ट' के तहत दाऊद इब्राहिम की ये संपत्तियां ज़ब्त की थीं. इन्हीं में से तीन- रौनक अफ़रोज़ होटल, डांबरवाला बिल्डिंग और शबनम गेस्ट हाउस की मंगलवार को नीलामी की गई. पूर्व में दाऊद की संपत्तियों की बोली के लिए सीलबंद लिफाफे आमंत्रित किए गए थे. बाद में ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया संपन्न करने की बात सामने आई.
गौरतलब है कि ये तीनों संपत्तियां भिंडी बाज़ार में चल रहे सैफ़ी बुरहानी अपलिफ़्टमेंट ट्रस्ट के पुनर्विकास प्रोजेक्ट का ही हिस्सा हैं. इस ट्रस्ट का बोहरा समुदाय के लिए इसलिए भी महत्व है क्योंकि इस ट्रस्ट की स्थापना बोहरा समुदाय के धर्मगुरू मरहूम डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने की थी. बोहरा समुदाय का यह ट्रस्ट मुंबई के भिंडी बाज़ार इलाक़े में पुनर्विकास प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. यह प्रोजेक्ट मुंबई के सबसे बड़े पुनर्विकास प्रोजेक्टों में से एक है. तकरीबन चार हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च कर मुंबई की घनी आबादी वाले भिंडी बाज़ार इलाक़े के पुराने मकानों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है. अगस्त में मुंबई के भिंडी बाज़ार में गिरी हुसैनी बिल्डिंग भी इसी ट्रस्ट के संरक्षण में थी. इस हादसे में 33 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इस हादसे के बाद ट्रस्ट पर मुक़दमा भी दर्ज किया था. हालांकि यहाँ के किरायेदारों ने नीलामी रोकने के लिए साफ़ेमा ट्रिब्यूनल में याचिका भी दायर की थी जिसे रद्द कर दिया गया. इन संपत्तियां को नीलाम करने के वित्त मंत्रालय के कई प्रयास भी अब तक असफल रहे थे.
दाऊद की संपत्तियों की नीलामी हमेशा ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा के केंद्र में रही. नीलामी में हिस्सा लेने वालों ने भी खूब सुर्ख़ियाँ बटोरीं. इस नीलामी से पहले अखिल भारतीय हिंदू महासभा से जुड़े स्वामी चक्रपाणी ने दाऊद इब्राहिम की इन संपत्तियों को ख़रीदकर वहां शौचालय बनवाने की घोषणा की थी. उन्होंने दाऊद की संपत्तियों की नीलामी में हिस्सा लेकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ मुहिम में लोगों को शामिल होने के लिए कहा था. वैसे उनकी घोषणा केवल अख़बारों की सुर्खियाँ बनकर रह गई. पिछली बार की नीलामी में स्वामी चक्रपाणि ने दाऊद की कार को खरीदा था और उस कार को आग लगाकर फूंक दिया था. उस कार को स्वामी चक्रपाणि ने नीलामी में बोली लगाकर 35 हजार में खरीदा था.
गौरतलब है कि, वर्ष 2015 में दाऊद की संपत्तियों की नीलामी की गयी थी. तब इन संपत्तियों की श्रेणी में शामिल रौनक अफ़रोज़ होटल के लिए पिछली मर्तबा पत्रकार एस. बालाकृष्णन ने अधिकतम बोली लगाई थी, लेकिन उक्त रकम चुकाने में वह नाकामयाब रहे. दाऊद के ख़ौफ़ को चुनौती देने का दावा करने वाले बालाकृष्णन को दाऊद की ओर से धमकियां भी दी गईं थीं. उन्हें जान से मारने के लिए एक शार्प शूटर भी भेजा गया था, जो फिलहाल ऑर्थर रोड जेल में बंद है. कभी शहर के जाने माने पत्रकार रहे बालाकृष्णन अब वकालत कर रहे हैं. ख़बरों के मुताबिक सैफ़ी बुरहानी ट्रस्ट के पुनर्विकास प्रोजेक्ट के ख़िलाफ़ बालाकृष्णन अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं.
वैसे भी अब दाऊद की उम्र और उसके सिपहसालारों की भीतरी गुटबाज़ी ने उसे तोड़कर रख दिया है. भले ही छोटा शकील दाऊद का कितना भी बड़ा वफादार रहा हो लेकिन छोटा शकील के वफ़ादार अब दाऊद के गुर्गों की बिलकुल नहीं सुनते. दाउद के छोटे भाई इकबाल कासकर की गिरफ्तारी ने भी दाऊद के भय को ख़त्म करने में बड़ी भूमिका निभाई है. कभी जिस शहर में डी कंपनी की तूती बोलती थी उसी शहर में डॉन की संपत्तियों का नीलाम होना यह साबित करता है कि अब डॉन दाऊद का ख़ौफ़ पूरी तरह ख़त्म हो गया है.