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हिंदी दिवस- गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम द्वारा वाद-विवाद और परिचर्चा का आयोजन
Thursday, September 15, 2016 4:38:51 PM - By संवाददाता

कार्यक्रम की कुछ तस्वीरी झलकियां
मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा संचालित गरवारे संस्थान हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में वाद-विवाद और परिचर्चा का आयोजन किया. विषय था ‘मीडिया में हिंग्लिश का इस्तेमाल कितना उचित है?’

वाद-विवाद प्रतियोगिता में शैलेश तिवारी को प्रथम, मीनाक्षी सिंह को द्वितीय और अजित त्रिवेदी के साथ कंवलजीत कौर को संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार दिया गया. कई विद्यार्थियों की राय थी कि युवा वर्ग में हिंग्लिश लोकप्रिय है एवं हिंग्लिश लोगों को ज्यादा आसानी से समझ में आ जाती है. मास मीडिया कम्यूनिकेट करता है अतः मीडिया में हिंग्लिश का इस्तेमाल पूर्णतया उचित है. दूसरी तरफ कुछ विद्यार्थियों कि राय थी कि हिंग्लिश का उपयोग हमारे स्वाभिमान के खिलाफ है. हमारी अपनी भाषा हिंदी पूरी तरह सक्षम भाषा है इसलिए हिंदी मीडिया में हिंग्लिश का इस्तेमाल गुलामी कि मानसिकता का प्रतीक है.

कार्यक्रम कि अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन सरल ने की. अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा कि आज के दौर में हिंग्लिश के इस्तेमाल से बचना असंभव हो गया है. भूमंडलीय युग में दुनिया छोटी होती जा रही है ऐसे में भाषा के प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण रखना उचित नहीं होगा.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दैनिक हिंदी सामना के वरिष्ठ पत्रकार अभय मिश्र ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इन्टरनेट और सोशल मीडिया के ज़माने में हमें हिंदी का इस्तेमाल करना ही होगा. और आप छह कर भी इस से बाख नहीं सकते.

इस अवसर पर गरवारे हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक सरोज त्रिपाठी ने कहा कि जिन शब्दों के हिंदी शब्द प्रचलित हैं उसके बदले अंग्रेजी शब्दों को बेवजह नहीं थोपा जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि मेरे पास जब हिंदी में माँ, पिता, पत्नी जैसे शब्द मौजूद हैं तो आखिर मैं क्यों मम्मी, डैडी, वाइफ जैसी शब्दावली का प्रयोग करूँ?

वरिष्ठ पत्रकार सैयद सलमान ने इस अवसर पर बोलचाल और लेखन के बीच की भाषा के फर्क को रेखांकित करते हुए कहा कि मीडिया में हिंग्लिश के प्रभाव को बाज़ार के नाम पर प्रोत्साहन देने से हिंदी को नुकसान हो रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार ओ.पी.तिवारी ने युवा पत्रकारों को नयी तकनीक से कदम मिलाकर चलने का आव्हान करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की तरह केवल हिंदी दिवस मनाने से हिंदी का लाभ नहीं होगा बल्कि हिन्दीप्रेमियों को इस दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे वरना हिंग्लिश के प्रयोग को रोका नहीं जा सकेगा.

प्रतियोगिता के निर्णायक सेवानिवृत प्रोफ़ेसर जे. एच. दुबे, पूर्व शिक्षा निरीक्षक राजदेव यादव, पत्रकार राकेशमणि तिवारी एवं रेडियो उद्घोषक एवं पत्रकार शिवम् पाण्डेय ने भी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया.

कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ ही गरवारे हिंदी पत्रकारिता के कई पूर्व विद्यार्थियों सहित पत्रकार, ब्लॉगर्स व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

कार्यक्रम का संचालन ललिता गुलाटी ने और आभार प्रदर्शन मीनाक्षी सिंह ने किया.