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31 जुलाई तक जमा करें आयकर नहीं तो लगेगी पेनाल्टी
Tuesday, July 26, 2016 1:48:17 PM - By एजेंसी

प्रतीकात्मक तस्वीर
आयकर दाताओं के लिए सूचना है कि यदि उन्होंने अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं तो वह 31 जुलाई से पहले भारतीय स्टेट बैंक व एक्सिस बैंक के माध्यम से अपने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने की दशा में उन्हें पेनाल्टी देना होगी। इस बार दो बैंकों के माध्यम से ऑनलाइन रिटर्न जमा किए जा सकेंगे इससे पहले सिर्फ आयकर कार्यालय में ही रिटर्न जमा होते थे।

इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने में अब सिर्फ 5 दिन बचे हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि उन्‍होंने सभी टैक्‍स का भुगतान कर दिया है ऐसे में अगर वे रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन को मिस कर जाते हैं तो उन्‍हें नुकसान नहीं होगा। हालांकि यह सही नहीं है। अगर आपने सभी टैक्‍स का पेमेंट कर दिया है और आप समय से रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो आप को कुछ बेनिफिट नहीं मिलेंगे जो समय से रिटर्न फाइल करने वालों को मिलते हैं। देरी से फाइल किए गए रिटर्न को नहीं कर पाएंगे रिवाइज. अगर आप फाइनेंशियल ईयर 2015-16 का रिटर्न ड्यू डेट के बाद फाइल करते हैं तो आप बाद में रिवाज्‍ड रिटर्न फाइल नहीं कर पाएंगे।


नौकरीपेशा लोगों का इंकम टैक्स कर्मचारी की सैलरी के आधार पर टीडीएस के माध्यम से काट लिया जाता है। वित्त वर्ष के समाप्त होने पर नियोक्ता की ओर से कर्मचारियों को फॉर्म 16 दिया जाता है
नौकरीपेशा लोगों का इंकम टैक्स कर्मचारी की सैलरी के आधार पर टीडीएस के माध्यम से काट लिया जाता है। वित्त वर्ष के समाप्त होने पर नियोक्ता की ओर से कर्मचारियों को फॉर्म 16 दिया जाता है। जिसके आधार पर करदाता अपना इंकम टैक्स रिटर्न फाइल करता है। नियोक्ता की ओर से ज्यादा टैक्स काट लेने पर करदाता इसे इंकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रिफंड मंगवाता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि रिटर्न फाइल करते समय अगर करदाता छोटी–छोटी बातों का ध्यान रखता है तो अपने रिफंड की रकम को बढ़ा सकता है।

अगर आपने इन पांच बातों का रखा ध्यान तो 15 दिन में वापस आ जाएगा इंकम टैक्स रिफंड का पैसा

करदाता की तमाम ऐसी जानकारियां होती हैं जो टीडीएस काटते समय पर नियोक्ता के पास नहीं होती हैं। रिटर्न फाइल करते समय करदाता इन जानकारियों को विभाग के साथ साझा कर अपनी रिफंड की रकम को बढ़ा सकता है।

1- करदाता पर परिवार के किसी विकलांग व्यक्ति की निर्भरता होने पर

अगर करदाता के परिवार में कोई विकलांग व्यक्ति है तो उसके स्वास्थ्य संबंधी खर्च के लिए आयकर कानून की धारा 80DD के अंतर्गत उसको 1,25,000 रुपए तक की आय पर कर छूट देता है। करदाता ने अक्षम व्यक्ति की देखभाल में भले कम राशि भी खर्च की हो लेकिन आयकर कानून के मुताबिक करदाता अधिकतम 1,25,000 रुपए की आय को करमुक्त श्रेणी में दिखा सकता है। विकलांगता के प्रतिशत के हिसाब से करमुक्त राशि की सीमा भी घटती बढ़ती है। मसलन व्यक्ति के 40 से 80 फीसदी अक्षम होने पर 75000 रुपए की राशि करमुक्त श्रेणी में दिखाई जा सकती है। जबकि 80 फीसदी से ज्यादा होने पर 1,25,000 रुपए की राशि इस श्रेणी में दिखाई जा सकती है। ध्यान रहे 40 फीसदी तक की अक्षमता पर कोई कर संबंधी छूट नहीं मिलती है।

2- 31 जुलाई तक भर दें अपना रिटर्न

आयकर की धारा 234 (A) के अनुसार अगर कोई करदाता 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल नहीं करता है तो इसके बाद विभाग 1 फीसदी की दर से हर माह ब्याज लगाता है। ऐसे में अगर आप 31 जुलाई तक अपना रिटर्न फाइल करते हैं तो इस ब्याज से बचकर अपने रिफंड अमाउंट को बचा सकते हैं।

3- एडवांस टैक्स जमा करके

15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च साल में तीन बार आम करदाता अपनी आय पर टैक्स भर सकते हैं। इससे वे विभाग की ओर से लगाए जाने वाले टैक्स से बच सकते हैं। आयकर कानून के मुताबिक करदाता को अपनी आय पर टैक्स उसी महीने में जमा करना चाहिए जिस महीने उनको वह आय प्राप्त हुई हो। कई बार करदाता साल के अंत में मिलने वाली सैलरी से सालभर का टैक्स जमा करते हैं और ऐसी स्थिति में विभाग उस माह से लगने वाले टैक्स पर ब्याज लगा देता है जब से करदाता को वह आय प्राप्त हुई हो। एडवांस टैक्स भरके कोई भी करदाता अपने रिफंड से कटने वाले ब्याज को बचा सकता है।

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4- परिवार के हेल्थ चेकअप का लें लाभ

हेल्थ चेकअप पर किए गए खर्च पर करदाता को छूट का लाभ मिलता है। करदाता अपना, अपनी पत्नी, अपने बच्चे के हेल्थ चेकअप पर खर्च की गई राशि पर कर छूट ले सकता है। इसकी अधिकतम सीमा 5000 है। करदाता रिटर्न फाइल करते समय 5000 रुपए की राशि कर मुक्त दिखाकर अपनी आय पर लगने वाले टैक्स को घटा सकता है। जिसके परिणामस्वरूप आपके रिफंड की रकम बढ़ जाएगी। इस राशि पर करलाभ करदाता की ओर से नकद खर्च किए जाने पर भी मिलता है।

5- दान की राशि होती है करमुक्त

प्रधानमंत्री राहत कोष, आपदा कोष समेत तमाम तरह की मदों में अगर करदाता ने कोई दान दिया है तो दान की गई राशि करमुक्त होती है। मसलन यदि किसी करदाता ने सरकार की ओर से तय की गई मदों में दान दिया है तो वह रिटर्न फाइल करते समय इस राशि को करमुक्त श्रेणी में दिखाकर अपने रिफंड की राशि कर बढ़ा सकता है।