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लड़कियां अब झूठे रेप केस में नहीं फंसा सकतीं, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की नई व्यवस्था
Tuesday, May 10, 2016 2:45:30 PM - By एजेंसी

प्रतीकात्मक तस्वीर
अक्सर पुरुषों द्वारा उन्हें झूठे रेप के मामलों में फंसाए जाने के आरोप लगते रहते हैं। लिव इन रिलेशन से लेकर प्रेम प्रसंग के बाद होने वाले ब्रेक अप के मामलों में ऐसी ख़बरें ज़्यादा सामने आती हैं। लेकिन अब रेप के हर मामलों में लड़का-लड़की दोनों का डीएनए टेस्ट अनिवार्य होगा। अभी तक यह सिर्फ रिजर्व मामलों में ही किया जाता था। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यह आदेश शहडोल जिले के एक केस की सुनवाई के दौरान दिया है। दरअसल, कई मामलों में पुरानी दुश्मनी या किसी षड्यंत्र के तहत महिलाएं झूठे रेप के केस दर्ज करा देती हैं। जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार रेप के मामलों में अब केवल पीड़ित व अन्य लोगों के बयानों के आधार पर कोई फैसला नहीं होगा। संबंधित पुलिस को रेप के हर मामले में डीएनए टेस्ट कराकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी। हाईकोर्ट ने यह आदेश शहडोल जिले के बुढ़ार थानांतर्गत ललपुर गांव निवासी राजा बर्मन की ओर से दायर जमानत याचिका खारिज करते हुए दिया है।


राजा पर आरोप है कि उसने नाबालिग से संबंध बनाए, जिससे वह गर्भवती हो गई। बदनामी के डर से नाबालिग ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में राजा के परिजनों का कहना है कि उसे साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। पुलिस के पास राजा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। पुलिस के पास सिर्फ मृतका की मां और उसकी सहेली के बयान है। बयान में दोनों ने राजा और नाबालिग के संबंध होने की बात कही है। पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों से असंतुष्ट कोर्ट ने अब रेप के हर मामले में डीएनए टेस्ट कराने के आदेश दिए। NCRB की ओर से जारी रिपोर्ट के (2014-2015) मुताबिक मध्य प्रदेश में 5500 रेप केस दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा मामले नाबालिगों के साथ हुए रेप के शामिल हैं।


हाई कोर्ट के वह 6 आदेश जिनके तहत होगी जांच

- कोर्ट ने आदेश दिया कि धारा 376 के तहत दर्ज हर मामले में जांच होगी।

- गर्भवती होने के दरमियान भी अगर पीड़ित की मृत्यु होती है तो भी डीएनए जांच कराई जाएगी।

- अगर पीड़ित का गर्भपात कराया जाता है, तो उसके गर्भ में टिशु के नमुनों की डीएनए जांच कराई जाएगी।

- रेप में गर्भवती होने के मामले में बच्चा पैदा होने की स्थिति में भी वल्दियत जांचने के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाएगी।

- अगर FSL (फारेंसिक साइंस लैब) में शुक्राणु मिलते हैं, तो नमूना डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाएगा।

- MLC (मेडिको लीगल केस) के दौरान पीड़ित के गुप्तांग और कपड़ों के स्लाइड बनाकर FSL में भेजकर पता करें कि उसमें आरोपी के शुक्राणु हैं या नहीं।