70 गैर सरकारी संगठन हुए एकजुट- चलाएंगे मोदी विरुद्ध कैंपेन
नरेंद्र मोदी- अमित शाह की जोड़ी के लिए चिंता का विषय

देशभर में भाजपा को घेरने की तैयारियों में राजनैतिक दलों के साथ ही गैर राजनैतिक संगठन भी आगे आ रहे हैं। रोजगार के मोर्चे पर केंद्र की मोदी सरकार की काफी आलोचना हो रही है। राजनीतिक पार्टियां रोजगार के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिशों में जुटी हैं। अब पूरे देश में करीब ७० संगठन भी मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर खड़े हो गए हैं। एक खबर के अनुसार, देशभर के करीब ७० गैर-सरकारी संगठन केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ ५० शहरों में मोदी विरोधी अभियान चलाकर मोदी सरकार की विफलता के बारे में लोगों को बताएंगे। इस अभियान का नेतृत्व यंग इंडिया नेशनल कॉर्डिनेशन कमेटी कर रही है। बताया जा रहा है कि इनमें अधिकतर संगठन वामपंथ समर्थित हैं।
खबर के अनुसार, ये संगठन अपने अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बंदायू से अप्रैल के पहले हफ्ते में करेंगे। बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है। इन संगठनों में शामिल और छात्र संगठन 'एआईएसए' के एन.साई बालाजी बताते हैं कि ‘यंग इंडिया नेशनल कॉर्डिनेशन कमेटी ने बीती 7 फरवरी को भी सरकार के खिलाफ एक मार्च का आयोजन किया था। इस दौरान युवाओं ने कई अहम मुद्दे उठाए और सरकार पर आरोप लगाए कि बेहतर शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे पूरे नहीं किए गए। यही वजह है कि YINCC ने फैसला किया है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाएगी और लोगों से उन्हें वोट ना देने की अपील करेंगे।’
बालाजी ने बताया कि बदायूं से ही इस अभियान की शुरुआत इसलिए की जा रही है क्योंकि जेएनयू से साल 2016 में लापता हुआ छात्र नजीब अहमद भी बंदायू का ही निवासी था। वहीं इस अभियान में शामिल समाजवादी युवजन सभा के एक सदस्य निसार अहमद ने बताया कि मोदी ने वादा किया था कि उनकी सरकार हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देगी। उन्होंने 2000 नौकरियां भी नहीं दी। सपा, बसपा और रालोद लोगों से अपील करेंगी कि वह भाजपा को वोट ना दें। ऑल इंडिया रेलवे अप्रेंटिस के एक सदस्य ने बताया कि मोदी ने इलाहाबाद में सफाईकर्मियों के पैर धोने का ड्रामा किया, यदि उन्हें इतनी ही चिंता है तो मोदी उन्हें रोजगार देते। SFI की एक सदस्य ने दावा किया कि वह मोदी के विरुद्ध नहीं हैं, बल्कि उनका विरोध आरएसएस की विचारधारा को लेकर है, जिस पर मौजूदा सरकार चल रही है।