सब्जियों और फलों और अनाज में लगातार कीटनाशकों के प्रयोग से स्वास्थ्य एक प्रमुख समस्या बनकर उभरी है। लंबे समय से लोग मांग करते रहे हैं कि कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाम लगायी जाए। हालांकि सभी कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर पाना संभव नहीं है लेकिन सरकार ने कुछ के प्रयोग की इजाजत नहीं दी है। इसके बावजूद प्रतिबंधित कीटनाशकों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जाता है।
कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक चावल, गेहूं, दाल, फल, सब्जी, दूध जैसे खाद्य पदार्थों में ऐसे कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा हैजिनके इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। देशभर में खुदरा और थोक दुकानों से पिछले साल 20,618 सैंपल लिए गए थे। इनमें से 12.5 फीसदी में ऐसे कीटनाशक पाए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक 543 या 2.6 फीसदी सैंपल में अधिकतम सीमा से ज्यादा कीटनाशक मिले। यह सीमा खाद्य सुरक्षा अथॉरिटी एफएसएसएआई तय करती है। सब्जियों के 8,342 सैंपल में से 1,180 सैंपल में बिना इजाजत वाले कीटनाशक मौजूद थे। इतना ही नहीं इनकी मात्रा को लेकर भी गड़बड़ी पायी गयी। 200 से ज्यादा सैंपल में तय सीमा से ज्यादा कीटनाशक पाए गए। ऑर्गेनिक सब्जियों में भी ज्यादा मात्रा में कीटनाशक मिले।
फलों के 1.8 फीसदी सैंपल में एफएसएसएआई की तय सीमा से ज्यादा पेस्टीसाइड थे। 225 सैंपल में अस्वीकृत रसायन पाए गए। चावल के 1,076 सैंपल में से 30 में अस्वीकृत और 68 में तय मात्रा से ज्यादा कीटनाशक पाए गए। गेहूं के 805 सैंपल में से 17 में डेल्टामेथ्रिन नामक कीटनाशक तय मात्रा से ज्यादा मिला।