साभार- दोपहर का सामना 03 07 2020
जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है तब भी पाकिस्तान के आतंकी संगठन अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आ रहे। जब उन्हें कहीं और कुछ करने को नहीं मिलता तो वह अपने देश को भी नहीं बख़्शते। पिछले दिनों पाकिस्तान के कराची शहर स्थित ‘पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज’ पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया जिसमें ११ लोगों की मौत हो गई। इस हमले में शामिल चार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। बताया जाता है कि इस हमले को चार आतंकवादियों ने अंजाम दिया। हमले में एक पुलिस अधिकारी और चार सुरक्षा गार्ड भी मारे गए जबकि तीन पुलिस कर्मियों समेत सात लोग इस हमले में घायल हो गए। हमलावरों के शवों के पास से विस्फोटक, हथगोले और यहां तक कि खाने-पीने का सामान भी बरामद हुआ। यह इस बात का संकेत देता है कि वे इमारत की लंबे वक़्त तक घेराबंदी की मंशा के साथ आए थे। यह उस देश की कहानी है जिसने ख़ुद को इस्लामिक गणराज्य घोषित कर रखा है। इस्लामी देशों में खुद को प्रमुख मुस्लिम देश के नाम से स्थापित करते हुए आर्थिक रूप से सशक्त इस्लामी देशों आर्थिक मदद लेता है और अपनी अवाम के बीच न जाने किस इस्लाम का प्रचार करता है जहां आए दिन आतंकी संगठन आतंकी कार्रवाई करते रहते हैं। आतंकी विचारधारा से प्रभावित संगठनों की नापाक करतूतों से मस्जिद और दरगाहों जैसे मुक़द्दस स्थल भी नहीं छूटते। अक्सर बमों और गोलियों से मस्जिदों में नमाज़ियों को भून दिए जाने की खबरें आती रहती हैं। पूरी दुनिया भले ही पाकिस्तान पर थूकती हो लेकिन पाकिस्तान के आतंकी इस नफ़रत को भी अपना ईनाम समझकर अगली कार्रवाई का ख़ाका तैयार करने में लगे रहते हैं।
अब आइये नापाक पाकिस्तान की ख़ुद को पाक बताने की नापाक करतूत पर। पाकिस्तान की भ्रष्ट बुद्धि के नेताओं की समझ में यह नहीं आ रहा कि जो खेल उन्होंने मज़हब की बुनियाद पर पाकिस्तान में खेला था वही उन पर उल्टा पड़ रहा है। लेकिन पाकिस्तान है कि अपने घर संभालने के बजाय भारत पर आरोप मढ़ रहा है। खिलाड़ी से राजनेता बनकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान इमरान खान ने भी अपने पूर्ववर्ती शासकों की तर्ज़ पर अपनी कमज़ोरियों का ठीकरा भारत पर फोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान को अस्थिर करने के इरादे से भारत ने ही यह हमला कराया है। इमरान खान का कहना है कि हमलावर हथियारों से लैस थे और वे लोगों को बंधक बनाकर मुंबई जैसा हमला कराची में भी करना चाहते थे। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में २००८ में हुए हमले में १६० लोग मारे गए थे। भारत ने तभी यह राज़ फ़ाश कर दिया था कि उस हमले की साज़िश पाकिस्तान में रची गई और वहां समुद्री रास्ते से आए आतंकवादियों ने इसे अंजाम दिया। अजमल क़साब की जीवित गिरफ़्तारी ने पूरे विश्व में पाकिस्तान को बेनक़ाब करने का काम किया था। भारत की सबूतों के साथ की गई बातचीत के बावजूद पाकिस्तान हमेशा आरोपों को ख़ारिज करता रहा है। अब वैसे ही आरोप पाकिस्तान भी भारत पर लगाकर अपनी साख़ बचाना चाहता है। ख़ासतौर से पाकिस्तान का कहना है कि भारत बलूचिस्तान में सक्रिय अलगाववादी आंदोलन और अन्य गुटों की फ़ंडिंग कर रहा है।
दरअसल पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन ख़स्ता होती जा रही है। पाकिस्तान में इमरान खान के लिए कोरोना महामारी से पैदा स्थिति और ख़स्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल हो रहा है और इसे लेकर उनकी ख़ूब आलोचना भी हो रही है। इमरान खान को पिछले दिनों उस वक़्त भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ी थी जब उन्होंने अपने देश की संसद में दिए गए एक भाषण में ओसामा बिन लादेन को शहीद बताया था। इमरान खान के विरोधी उन पर आतंकवादियों और चरमपंथियों से सहानुभूति रखने का आरोप लगाते रहे हैं। उनके इसी रवैये को लेकर अगर उनके कई राजनैतिक आलोचक उन्हें ‘तालिबान खान’ कहते हैं तो ग़लत नहीं कहते हैं। ऐसे में इमरान खान के भारत विरोधी बयान को भला अन्य देश क्योंकर गंभीरता से लेंगे? यह तो आईने की तरह साफ़ है कि पाकिस्तान न सिर्फ़ आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है बल्कि उसने भारत के भगोड़े आतंकियों और अनेक अपराधियों को अपने यहां पनाह भी दी है। दाऊद इब्राहिम सहित अनेक ऐसे नाम हैं जो पाकिस्तान की छत्रछाया में पलते रहे हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान का अपनी सुरक्षा और विदेश नीति के रूप में आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल करना भारत के प्रति हमेशा ही उसके षडयंत्र का हिस्सा रहा है। भारत और उसकी ताक़त को वह हमेशा अपने अस्तित्व के ख़तरे के रूप में देखता रहा है। अपनी नाकामियों के लिए भारत को ज़िम्मेदार बताने की पुरानी नीति पर ही इमरान खान को भी चलना पड़ रहा है। न सही विश्व बिरादरी को, लेकिन अपने ही देश के कुछ मूर्खों को पाकिस्तानी शासक यह समझाने में सफल हो जाते हैं कि उनके यहां की गई हर आतंकी कार्रवाई में भारत का हाथ है। तभी तो भारत के विरोध में आतंकी विचारधारा वाले संगठनों को ख़ुराक मिल जाती है और वह अवाम को बरगलाने में सफल हो जाते हैं। नतीजतन बद-दिमाग़, जाहिल और कट्टरपंथी मुसलमानों का उन्हें मौन और कभी-कभी खुला समर्थन मिलता रहता है।
अभी पिछले महीने के अंत में यह ख़बर आई थी कि पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी आईएसआई अपने नये आतंकी संगठन ‘टेररिस्ट रिवाइवल फ़ोर्स’ (टीआरएफ़) के ज़रिये कश्मीर में सुरक्षाबलों पर असाधारण तरीक़े से हमले की योजना बना रहा है। जब पूरे विश्व सहित ख़ुद पाकिस्तान में कोरोना के मामले बढ़ रहे थे तब पाकिस्तान आतंकी कार्रवाई को बढ़ावा दे रहा था। पाकिस्तान ने पुलवामा-२ की पूरी तैयारी कर रखी थी। दरअसल मई के आख़िरी सप्ताह में पाकिस्तान की शह पर पुलवामा के पास एक सैंट्रो गाड़ी में इंप्रोवाइज़्ड एक्स्प्लोसिव डिवाइस (आईईडी) प्लांट की गई थी, जिसको सुरक्षा बलों ने समय रहते पहचान कर डिफ़्यूज़ कर दिया था। आतंकियों ने पुलवामा जैसे हमले को दोहराने की साजिश रची थी। जांच में पता चला कि आतंकियों ने एक ड्रम में ४५ किलो आईईडी रखा था। पिछले साल पुलवामा में आतंकियों ने इसी तरह के हमले को अंजाम दिया था जिसमें एक गाड़ी में बम रखा गया था जिसे सीआरपीएफ के काफ़िले में घुसा दिया गया था। फरवरी २०१९ में हुए उस आतंकी हमले में हमारे ४५ जवान शहीद हो गए थे। लेकिन सुरक्षाबलों ने इस बार सतर्कता बरतते हुए आतंकियों के मंसूबे को नाकाम कर दिया। आश्चर्य यह कि पाकिस्तान में यह सब हो रहा है धर्म और मज़हब के नाम पर, जिहाद के नाम पर। यहां यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि दरअसल पाकिस्तान ने ही सबसे अधिक इस्लाम धर्म के नाम का उपयोग करते हुए इस्लाम को ही सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुंचाया है। पाकिस्तान के हुक्मरान न जाने किस जन्नत का ख़्वाब देख रहे हैं जो ख़ून की होली खेलने के बाद उन्हें मिलने वाली है। पाक की नापाक करतूत कहीं से इस्लामी नज़रिये की अक्कासी नहीं करती। ज़ुल्म, ज़्यादती, कुटिल चालें, बेगुनाहों का क़त्ल आख़िर इस्लाम की शिक्षा कबसे हो गए? पाकिस्तान को तो इस्लाम को नए सिरे से समझने की ज़रूरत है।
पाकिस्तान की आर्थिक तंगी किसी से छुपी नहीं है। पाकिस्तान भी कोरोना महामारी की भयंकर चपेट में है। प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान में कोरोना संकट का मुकाबला करने के लिए तीन अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ १५० करोड़ डॉलर के ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर करना पड़ा है। इमरान खान ने विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और एशियाई इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बैंक के साथ क़र्ज़ के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। पाकिस्तान में कोरोना मामलों की कुल संख्या लगभग पौने दो लाख तक पहुँचने को है। पाकिस्तान में अब तक लगभग साढ़े तीन हज़ार के आसपास मौतें हो चुकी हैं। लेकिन बजाय इस संकट में देश के साथ खड़े होने के उस देश के आतंकी ख़ून बहाने को तरजीह दे रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान ने जो बोया है वही काट रहा है। आतंकियों की पुश्तपनाही का नतीजा है कि उसके द्वारा पाले गए संगठन अब अपने घर को ही नहीं बख़्श रहे। इमरान भले ही कराची ब्लास्ट का ठीकरा भारत पर फोड़ने की कोशिश करें लेकिन वह जानते हैं कि सब किया धरा उनके देश का ही है। मज़हबी उन्माद का भस्मासुर अब पाकिस्तान की ही क़ब्रगाह बन रहा है। बेक़सूर आम नागरिकों के क़त्ल के बाद भले ही इमरान और उनका देश मरहूमीन का मातम करे, लेकिन उन्हें यह पुरानी कहावत नहीं भूलनी चाहिए, ‘बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहां से होय।’