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तू कहीं आस-पास है दोस्त... मुहम्मद रफ़ी पुण्यतिथि विशेष / सैयद सलमान
Wednesday, July 31, 2019 - 3:17:21 PM - By सैयद सलमान

तू कहीं आस-पास है दोस्त... मुहम्मद रफ़ी पुण्यतिथि विशेष / सैयद सलमान
मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा....
​​'दिल का सूना साज़ तराना ढूंढेगा,
मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा....'
और सचमुच रफ़ी साहब की जादू भरी आवाज़ के दीवाने आज भी उनकी आवाज़ ढूंढते हैं....
आज भी तन्हाई में मुहम्मद रफ़ी के दर्द भरे नग़मे विरह की कसक बन कर ऑंखें नम कर जाते हैं....
उनके रूमानी गीत सुरूर बनकर नसों में दौड़ने लगते हैं......
उनके देशभक्ति से सराबोर नग़मे लहू में उबाल ले आते हैं....
क्या क़वाली, क्या भजन, क्या ग़ज़ल, क्या शास्त्रीय संगीत से सजे गीत, क्या आसमान की ऊंचाइयों को छूती उनकी बुलंद मगर मीठी आवाज़ की चाशनी में लिपटे प्रेरणादाई गीत.....आज भी संगीत प्रेमियों को झकझोर देते हैं....
सुरों की किताब में कोई ऐसा राग नहीं था जिसको रफ़ी साहब ने न गाया हो.....
मरहूम नौशाद ने अपने इस साथी को श्रद्धांजलि देते हुए बिकुल सही फ़रमाया था,
गूंजते हैं तेरे नग़मों से अमीरी के महल,
झोपड़ी में भी ग़रीबों के तेरी आवाज़ है....
अपनी मौसीक़ी पे सबको फ़ख़्र होता है मगर,
मेरे साथी आज मौसीक़ी को तुझ पर नाज़ है....
जब रात हो, तन्हाई हो और रफ़ी साहब की रूहानी आवाज़ हो तब रात गुनगुनाते हुए कब बीत जाएगी, आपको पता भी नहीं चलेगा.....
कई दौर आए, कई दौर गए...
कई गायक आए और कई गए...
बहुत से महान सिंगर भी हुए, पर रफ़ी साहब जैसा सिर्फ़ एक बार जन्म लेता है....
रफ़ी साहब के नग़मों को जब भी सुनो तो महसूस होता है ,
'तेरे आने की आस है दोस्त ,
शाम फिर क्यू उदास है दोस्त...
महकी-महकी फ़िज़ा ये कहती है ,
तू कहीं आस-पास है दोस्त...'
सही गुनगुना गए थे आप रफ़ी साहब,
'तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे,
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे,
संग-संग तुम भी गुनगुनाओगे....
सुरों के इस नायाब कलाकार और स्वरलहरी के शहंशाह का उनकी ३९ वीं पुण्यतिथि पर विनम्र अभिवादन....