मैं सिर्फ तुमको जी रहा हूँ/ डॉ. वागीश सारस्वत
किसी और में मुझे
तुम्हारा अक्स नहीं दिखता
कोई और हो भी नहीं सकता तुम्हारे जैसा
तुम्हारी याद भी नहीं आती मुझे
याद तो उसे करते हैं जो अपना ना हो
तुम तो मेरे भीतर हो हमेशा
मैं सिर्फ तुम को जी रहा हूँ
तुम हो मेरी हर सांस में
तुमसा कोई नहीं हो सकता
किसी और औरत में तुम्हारा अक्स नहीं हो सकता
तुम्हारा होना सत्य है
तुम मेरे हर शब्द में हो
हर अक्षर में तुम हो
हर वाक्य में तुम हो
तुम मेरी ख़ुशी हो
तुम मेरा जीवन हो
तुमसे अलग एक पल भी नहीं है मेरा
मैं सिर्फ तुम को जी रहा हूँ
तुम हो तो मैं जी रहा हूँ
सिर्फ तुम ही जीवन हो
तुम सिर्फ तुम हो
कोई भी नहीं हो सकता तुम्हारे जैसा ।।